तस्वीर में आप जिस शख्स को देख रहे हैं ये कोई फकीर नहीं बल्कि सखावत का
शहंशाह हैं जी हां इस शख्स का नाम अब्दुल शकूर छीपा हैं और ये पेशे से एक
आम पत्थर का काम करने वाला दिहाडी मज़दूर
हैं ये तस्वीरे मैंने खुद जोधपुर में अभी कुछ दिन पहले हुए माहे तैबा
अवार्ड फंक्शन के बाद ली थी जिसमे इस शख्स को सम्मानित किया गया था। इस
शख्स की सादगी देखिये प्लास्टिक की थैली में अवार्ड लिए जमीन पर बैठ नाश्ता
कर रहा हैं जबकि इसने वो किया जो बड़े बड़े करोड़पति नहीं करते।
इन्होंने अपनी मां नसीबन को हज करवाने के लिए पैसा जमा किया था लेकिन कुदरत को ये मंजूर नही था और एक बड़ी बीमारी की वजह से वो चल बसी। शकूर ने अपनी खाली पड़ी ज़मीन को मां की याद में अस्पताल के लिए दान कर दिया। उनका कहना है कि जिन ग़रीब मरीज़ों को इलाज के लिए रूपये नसीब नहीं होते हैं उनको मां की याद में बनाई हुई डिस्पेंसरी में चिकित्सा उपलब्ध होगी तो मां को कब्र में सवाब और मग़फिरत का ज़रिया समझूंगा। उनकी दान की गई ज़मीन पर सरकारी सहयोग से आज डिस्पेंसरी खड़ी है और ग़रीबों का निशुल्क इलाज हो रहा है।
फटे पुराने कपड़ों में मजदूरी करने वाले शकूर ने पिछले दिनों अपनी दो ज़मीनें मस्जिद और समाज के भवन व मदरसे के लिए भी दान कर दी हैं इसके अलावा ये एक जमीन को सरकारी लैबोरेटरी के लिए देना चाहते हैं।
- Via Tahir Hussain Facebook
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