May 06, 2018

बीलेटेड हैप्पी बर्थ डे डियर कार्ल मार्क्स

By Vishal Sonara || 6 May 2018



आज से 200 साल पहले (5 May 1818) जर्मनी में जन्मे कार्ल मार्क्स बहोत बडे विचारक माने जाते हैं. उनके इसी बडे बडे विचारों के कारण 1849 को उन्हें जर्मनी से निकाल बहार किया गया, बाद में वो पेरिस चले गए. पेरिस से भी बहोत कम समय में 1849 में ही निष्कासित कर दिया गया था. बाद मे बाकी की जिंदगी उन्होंने लंदन में निर्वासित के स्वरूप में व्यतीत की. उनकी मृत्यु 14 March 1883 मे लंदन में हुई थी. 
उनके द्वारा दि गई विचारधारा को मार्क्सवाद कहा जाता है. जो बहोत मस्त विचारधारा है पर फिल्मी भाषा में कहें तो "A" सर्टिफिकेट से कम नहीं दे पाएंगे हम. क्योंकि इस विचारधारा में हिंसा और नरसंहार के दृश्य बहोत देखने को मिलते हैं. 
कार्ल मार्क्स ने लिखने मे कोई कसर नहीं छोड़ी और उनके अनुयायियों ने लोगों को निपटाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. 
अब तक लाखो करोड़ों तथाकथित 
पूंजीपति और मार्क्सवाद के विरोधी लोगों को कॉमरेड्स ने तडपा तडपा कर मार डाला है और कार्ल मार्क्स की कृपा रही तो आगे भी ये सिलसिला जारी रहेगा. 
कार्ल मार्क्स का कहना था कि,
"The last capitalist we hang shall be the one who sold us the rope." 

मतलब की,
"आखरी पूंजीपति जिसे हम रस्सी से फांसी पर लटकाएंगे वह वो होगा जिसने खुद हमें वो रस्सी बेची होगी." 

मतलब की पैसेवालों को तो बस मार ही दो, जिंदा रहेंगे तो शोषण करेंगे ना?? 
आतंक को अगर छोड दें तो बंदा बाकी की ज्यादातर बातों में बहोत सही था, पर क्या करे उनके अनुयायियों ने "लाल" कलर को दिल पर ले लिया और पुरी दुनिया को तथाकथित पूंजीवादीयों के खुन से रंगने का काम शुरू कर दिया. 
मे कार्ल मार्क्स के चाहको को शुभकामनाएं देता हूं और आशा करता हूं कि हमारे देश में भी कभी मार्कवाद का शासन आए और कार्ल मार्क्स की लोगों को मारने की विचारधारा पर जोर न देते हुए बाकी के उपदेशों को सही से लागू करने का प्रयास करें. और अगर मारना शुरू भी कर दें तो मुझे माफ कर देना, मैने तो मजाक मजाक में ये ये सब लीखा है.  
- विशाल सोनारा

Note : यहां दि गई फोटोस आप को विचलित कर सकती है (दुनिया के इतिहास को भी विचलित कर दिया था) , इसलिए समझदारी से देखें. 18 साल से कम उम्र के लोग ना देखें.


- Vynnytsa, Ukraine, June 1943. Mass graves dating from 1937–38 opened up and hundreds of bodies exhumed for identification by family members.



- The corpses of victims of Soviet NKVD murdered in last days of June 1941, just after outbreak of German-Soviet War (NKVD prisoner massacres) and escape of Red Army and NKVD troops from the cities. Here: Lwów, citizens of Lwów are looking for their friends and relatives, previously arrested by NKVD and kept in prison.



- Plaque memorizing members of Estonian government who were killed by Communist terror. Location: residence of Government of Estonia (a.k.a. "The Stenbock House"), Toompea,Tallinn, Estonia. Date: May 2006.



- Skulls of victims of the Khmer Rouge regime in Cambodia.


- Infants were fatally smashed against the Chankiri Tree (Killing Tree) at Choeung Ek, Cambodia.


-Katyn 1943 exhumation. Photo by International Red Cross delegation.
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