January 26, 2018

कौन है जो अशोक चक्र को नीकाल देना चाहता है राष्ट्र ध्वज से????

By Vishal Sonara || 26 January 2018


एक बार ठिक से देख लो भारत का राष्ट्र ध्वज...

भगवा (Saffron) ,  सफ़ेद (White)  और हरा (Green)  रंग की तीन पट्टियां है और ठिक बीच में अशोक चक्र हैं.  "और अशोक चक्र बेरंग नहीं है."  नीले (Blue)  रंग का हैं.  

भगवा रंग शौर्य का प्रतीक बताया जाता है, सफेद रंग शांती का और हरा रंग खुशहाली का. और अशोक चक्र मे 24 पंक्तियाँ है. जो देश और समाज कि गती को दर्शाता है. साथ मे हर एक तीलि का अपने आप मे एक महत्व है जो इस प्रकार है. 

- अशोक चक्र में दी गयी सभी तीलियों का मतलब (चक्र के क्रमानुसार) जानते हैं.
  • पहली तीली :- संयम (संयमित जीवन जीने की प्रेरणा देती है)
  • दूसरी तीली :- आरोग्य (निरोगी जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है)
  • तीसरी तीली :- शांति (देश में शांति व्यवस्था कायम रखने की सलाह)
  • चौथी तीली :- त्याग (देश एवं समाज के लिए त्याग की भावना का विकास)
  • पांचवीं तीली :- शील (व्यक्तिगत स्वभाव में शीलता की शिक्षा)
  • छठवीं तीली :- सेवा (देश एवं समाज की सेवा की शिक्षा)
  • सातवीं तीली :- क्षमा (मनुष्य एवं प्राणियों के प्रति क्षमा की भावना)
  • आठवीं तीली :- प्रेम (देश एवं समाज के प्रति प्रेम की भावना)
  • नौवीं तीली :- मैत्री (समाज में मैत्री की भावना)
  • दसवीं तीली :- बन्धुत्व (देश प्रेम एवं बंधुत्व को बढ़ावा देना)
  • ग्यारहवीं तीली :- संगठन (राष्ट्र की एकता और अखंडता को मजबूत रखना)
  • बारहवीं तीली :- कल्याण (देश व समाज के लिये कल्याणकारी कार्यों में भाग लेना)
  • तेरहवीं तीली :- समृद्धि (देश एवं समाज की समृद्धि में योगदान देना)
  • चौदहवीं तीली :- उद्योग (देश की औद्योगिक प्रगति में सहायता करना)
  • पंद्रहवीं तीली :- सुरक्षा (देश की सुरक्षा के लिए सदैव तैयार रहना)
  • सौलहवीं तीली :- नियम (निजी जिंदगी में नियम संयम से बर्ताव करना)
  • सत्रहवीं तीली :- समता (समता मूलक समाज की स्थापना करना)
  • अठारहवी तीली :- अर्थ (धन का सदुपयोग करना)
  • उन्नीसवीं तीली :- नीति (देश की नीति के प्रति निष्ठा रखना)
  • बीसवीं तीली :- न्याय (सभी के लिए न्याय की बात करना)
  • इक्कीसवीं तीली :- सहकार्य (आपस में मिलजुल कार्य करना)
  • बाईसवीं तीली :- कर्तव्य (अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करना)
  • तेईसवी तीली :- अधिकार (अधिकारों का दुरूपयोग न करना)
  • चौबीसवीं तीली :- बुद्धिमत्ता (देश की समृधि के लिए स्वयं का बौद्धिक विकास करना)



आंबेडकरवादी बुद्धीस्ट लोगों के लिए अशोक चक्र धम्म चक्र हैं. और भारत की भुमी पर ज्यादातर लोग बहोत पहले से बुद्धिस्ट थे यदि देश का सही इतिहास पता किया जाए तो आधे से ज्यादा लोगों का मूल धर्म बौद्ध धर्म मिलेगा.  पर बौद्ध धर्म के कारण कुछ लोगों का धर्म का धंधा बंद हो गया था इस कारण उन पेशेवर धर्म के ठेकेदारों ने "साम दाम दंड भेद"  की धोखाधड़ी कर के इस देश में जहां इतनी महान विचारधारा का जन्म हुआ वहीं से बौद्ध धर्म और बौद्धो को खत्म कर दिया. 
छोड़ो,  ये सब तो इतिहास की बात है इस पर ज्यादा कड़वाहट नहीं रखते.  

पर जब कहीं पर जानबूझकर देश के राष्ट्र ध्वज के मुख्य भाग अशोक चक्र और उसके नीले रंग को अनदेखा कर के उसे तिरंगा और Tricolor बोला जाता है तब लगता है कि पुरानी धोखाधड़ी आज भी अपना रंग दिखा रही है. कई बार समानता मे मानने वाले लोगो को भी भारत के राष्ट्र ध्वज को तिरंगा कहते सुना है पर ये सभी चीजे दिमाग पर अविरत भरी जा रही  सूचनाओं के कारण हो रहा है. और लोगो की कम समजदारी इस के पीछे उत्तरदायी है. मानवता विहीन समाचार पत्रों और टीवी चैनलो के माध्यम से आजादि के बाद से ये सब चालु हो चुका है. अंग्रेज जब तक रहे इन धोखे बाजो को ये सब करने का मौका ना मिला, इसी लिए अंग्रेजो के रहते बहोत सा सही इतीहास सामने आ चुका है वरना इन मे भी छेडछड कर देते ये समानता के दुश्मन. 

ये तिन रंग चार रंग वाला प्रश्न उठाने पर बहोत से विद्वान लोग (जो ज्यादातर उंची जाती के ही रहते है) कहते है कि राष्ट्रध्वज के तिन रंगो का अलग अलग महत्व है और अशोक चक्र का खुद एक अपना अलग महत्व है इस कारण से उस के रंग को ना गिन कर तिरंगा कहा जाता है. अरे भाई राष्ट्रध्वज के एक एक ईंच का भी महत्व है और अशोक चक्र के रंग का नही है ऐसा कैसे कह सकते हो आप लोग??? ये एक गलत धारणा देश के लोगो मे भरने का काम है और कुछ नही है. 

इस लिए हमे सतर्क रहकर इन के सभी मनसुबो को समजना होगा. इस के लिए हमे सतत बाबा साहेब द्वारा लिखा गया साहित्य पढना होगा और तर्क कर के भारतवासीओ के सामने सही बात को लाना होगा. 

तिरंगा कहने पर देश के राष्ट्र ध्वज को हम सही तरीके से नही दीखा रहे क्योंकी हम इस के मुल तत्व जो की अशोक चक्र है उस की अनदेखी कर रहे है. ये गलती जितनी जल्दी हो सके ये हर एक भारतवासी को सुधार लेनी चाहिए. 


जय भारत 
जय संविधान


- विशाल सोनारा