May 09, 2017

केशलेस इंडीया के स्वप्नदृष्टा श्री श्री नरेन्द्रभाई मोदी के अथाग प्रयासो की एक और बायप्रोडक्ट ने लोगो की नींद हराम कर रक्खी है.



केशलेस इंडीया के स्वप्नदृष्टा श्री श्री नरेन्द्रभाई मोदी के अथाग प्रयासो की एक और बायप्रोडक्ट ने लोगो की नींद हराम कर रक्खी है. 

आज कल केशलेस फ्रोडस्टर्स (धोखाधड़ी करने वालों) का काम और कमाइ दोनो बढ गया है. ऐसे केशलेश इंडीया के जालसाजो से बच के रहना.

शुरु मे फोन पर आप से इतनी शालीनता से बात करेंगे जीतना खुद बेंक वाले भी नही कर पाते. एटीएम बंध करके नया एटीएम इश्यु करवाने का लालच और डर दोनो का मीश्रीत भाव दीखा कर आप से एटीएम की सारी डीटेइल को नीकलवायेंगे और बाद मे आप का सारा पैसा कीसी अज्ञात स्त्रोत मे चला जायेगा कीसी को पता भी नही चलेगा. पुलीस भी ज्यादातर ऐसे केसीस मे लाचार पाई जाती है.

बहोत सारे केसीस मे खुद पुलीस वालो के पैसे भी इस “महायज्ञ” मे भस्म हो चुके है, और कुछ परीणाम नही आया है.

अगली बार आप को ऐसा कोइ फोन कोल आये तो एटीएम बंध होने का डर रखे बीना उस महानुभावो को महानतम श्लोको से नवाजे. बैंक वाले कभी फोन पर नया एटीएम इश्यु नही करते और करते भी हो तो ऐसे लालच मे आये बीना खुद अपनी बैंक ब्रांच मे जा कर पुष्टि कर ले.


-Vishal Sonara

Facebook Post :-



एटीएम संबंधी विषयों में जागरुकता


स्वचालित टेलर मशीन(एटीएम)

स्वचालित टेलर मशीन (एटीएम) की पहली व्यावसायिक शुरुआत 1960 के दशक में की गई थी। एटीएम की शुरुआत एक महत्वपूर्ण तकनीकी विकास साबित हुई जिसने वित्तीय संस्थानों को अपने ग्राहकों को 24X7 वातावरण में सेवाएं प्रदान की सुविधा दी। एटीएम ने ग्राहकों को जब भी नकदी की आवश्यकता हो, उनके निकटतम एटीएम में उसे उपलब्ध कराकर उनकी सुविधा में इजाफा किया है।
वित्तीय संस्थानों ने अपने एटीएम में सुरक्षा के उन्नयन और धोखाधड़ी के लिए गुंजाइश कम करने की की कई रणनीतियां लागू की है। इनमें शामिल हैं एटीएम की स्थापना के लिए सुरक्षित स्थान का चयन, निगरानी वीडियो कैमरों की स्थापना, दूरस्थ निगरानी की स्थापना, कार्ड की जानकारी अनधिकृत रूप से पढ़कर निकाल लिए जाने के विरुद्ध समाधान, और एटीएम या इंटरनेट पर लेनदेन के समय उनकी व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा के विभिन्न तरीकों की जानकारी देकर उपभोक्ताओं की जागरूकता बढ़ाना।



एटीएम धोखाधड़ी

जालसाज़ एटीएम कार्ड स्लॉट में प्लास्टिक की फिल्म का एक टुकड़ा तह कर डालता ताकि वह कार्ड को पकड़ ले और मशीन द्वारा उसे बाहर फेंकने की अनुमति न दे। उपभोक्ता समझता है की उसका कार्ड मशीन में फंस गई है और वह नहीं जान पाता है कि कार्ड स्लॉट के साथ छेड़छाड़ की गई है।
एक बार डाला गया कार्ड फंस जाता है तो जालसाज़ एक जायज कार्डधारक के रूप में शिकार को अपना सुरक्षा कोड पुनः दर्ज करने का सुझाव देता है। जब कार्डधारक अंततः निराश होकर चला जाता है, तो जालसाज़ कार्ड निकालकर गुप्त रूप से देखा गया कोड दर्ज कर देता है। एक और तरीका है छोटे कैमरों और "स्किमर्स" नामक ऐसे उपकरणों द्वारा एकत्रित डेटा का उपयोग जो बैंक खाते की जानकारी पकड़कर रिकार्ड कर लेते हैं। इसमें जोखिम कम होता है क्योंकि इसमें जालसाज़-शिकार के बीच कोई संवाद नहीं होता तथा जालसाज़ की अनुपस्थिति कार्डधारक को थोड़ा अधिक बेपरवाह बना देती है तथा वह पासवर्ड की सुरक्षा के बारे में कम सजग हो जाता है।
एटीएम धोखाधड़ी की एक और दिलचस्प विधि है जालसाज़ द्वारा "डुप्लीकेट एटीएम" जिसमें ऐसे सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाता है जो उन मशीनों पर टाइप किए गए पासवर्ड रिकॉर्ड कर लेता है। उसके बाद डुप्लीकेट कार्ड निर्मित किए जाते हैं और चोरी के पासवर्ड का उपयोग कर पैसे निकाले जाते हैं। कभी-कभी ऐसी धोखाधड़ी अंदरूनी होती है जिसमें कार्ड जारी करने वाली कंपनी के कर्मचारियों की मिलीभगत होती है। ऐसी धोखाधड़ी का तरीका चाहे जो कुछ भी हो लेकिन यह निश्चित रूप से अवैध है और संबंधित देश के कानून के अनुसार दंडनीय अपराध है। हालांकि सज़ा के बावजूद संभव है कि इस प्रक्रिया में खो गया धन वापस नहीं मिले। इस प्रकार, एक अपराधी को सजा हालांकि अन्य अपराधियों के लिए निवारक साबित होंगी तथापि यह चोरी की संपत्ति की बहाली का सबसे अच्छा तरीका नहीं हो सकता। इसलिए, निवारक निगरानी और एटीएम धोखाधड़ी जोखिम बीमा कराना सही दृष्टिकोण प्रतीत होता है।



सावधानी से उपयोग



एटीएम का उपयोग करते समय सावधान रहें, खासकर तब जबकि नकद प्राप्त हो रहा हो। उस दौरान इन सावधानियों का पालन करें:
  • हमेशा एटीएम के आसपास संदिग्ध व्यक्तियों या गतिविधि के प्रति सजग रहें- यदि आपको कुछ भी अजीब दिखाई दें, तो वहां से निकल जाएं और फिर कभी (ज़रुरत पड़ने पर) वापस आएं।
अंधेरे के समय: किसी साथी के साथ जाएं।
  • एक अच्छी तरह से उजले क्षेत्र में एटीएम के पास के गाड़ी पार्क करें, अपनी कार को लॉक करें।
  • अपना एक्सेस कोड दर्ज करते समय अपने शरीर का एक ढाल के रूप में प्रयोग करें करें, ताकि टाइप करते समय कोई उसे देख न पाएं,
  • अपने लेनदेन की समस्त रसीदें अपने साथ ले जाएं, उन्हें एटीएम के पास नहीं फेंकें, अगर आपको नकदी मिल जाए तो उसे लेकर दूर जाएं, एटीएम के सामने खड़े होकर नहीं गिनें,
  • अजनबियों से एटीएम के लिए कभी सहायता स्वीकार नहीं करें, मदद के लिए बैंक से पूछें,
  • अपना एक्सेस कोड याद रखें, उसे कहीं नहीं लिखें तथा/ या अपने साथ नहीं रखें,
  • ऐसे एक्सेस कोड का उपयोग न करें जो आपके जेब में मौजूद अन्य शब्दों या संख्या के समान हों,
  • अपना एक्सेस कोड कभी किसी को नहीं बताएँ! (बैंक कर्मचारियों, पुलिस सहित),
  • अपना एटीएम कार्ड कभी किसी को नहीं दें, इसे नकद या क्रेडिट कार्ड की तरह समझें,
  • यदि आपका एटीएम कार्ड खो जाए, तो अपनी बैंक या क्रेडिट यूनियन को तुरंत सूचित करें।



बैंकिंग सुझाव

    समय पर एसएमएस और ई-मेल संदेश प्राप्त करने के लिए अपने मोबाइल नंबर और ई-मेल बैंकिंग लेनदेन के लिए सक्रिय करें,


    • आपका वित्तीय संस्थान या बैंक आपके बैंकिंग विवरण ऑनलाइन दर्ज करने के लिए कभी ई-मेल नहीं भेजता है,
    • नियमित रूप से अपने क्रेडिट कार्ड या बैंक खाते के विवरण की जाँच करें और अपने लेनदेन का हिसाब-किताब रखें,
    • चेकबुक, स्टेटमेंट, डेबिट/ क्रेडिट कार्ड की सही पते पर प्राप्ति के लिए पते में परिवर्तन जैसे विवरण अद्यतन करें,
    • फ़िशिंग हमलों से रक्षा के लिए आपके ब्राउज़र में फिल्टर फ़िशिंग होना चाहिए और अपने ई-मेल में अद्यतन करने या लेनदेन के लिए कभी किसी लिंक पर क्लिक न करें।
    • एक मजबूत और याद रखने योग्य आसान पासवर्ड बनाएं और उसे नियमित रूप से बदलते रहें। विशिंग एक प्रकार की फ़िशिंग है, जहाँ व्यक्तिगत जानकारी देने में फाँसने की कोशिश के लिए ई-मेल देने के बजाय अपराधी बैंक या क्रेडिट यूनियन के ग्राहक से महत्वपूर्ण जानकारी निकालने के लिए एक प्रत्यक्ष या स्वचालित फोन का उपयोग करता है।
    • किसी बैंक या क्रेडिट कार्ड प्रदाता से एक कॉल प्राप्त होने पर अपनी व्यक्तिगत जानकारी देने से अपने आपको रोकने का यथासंभव प्रयास करें।



    एटीएम उपयोगकर्ता के लिए सुझाव




    1. एटीएम मशीन में कुछ भी असाधारण दिखने वाली बात से सावधान रहें, जैसे अजीब दिखने वाले उपकरण या उपकरण के साथ संलग्न तार,
    2. "छेड़छाड़ नहीं (नो टेम्परिंग)" चिन्ह देखें। बदमाश किसी नए उपकरण के बारे में उत्सुक लोगों को रोकने के लिए इन्हें लगा देते हैं,
    3. एक जाम एटीएम मशीन से बचें जो ग्राहकों को ऐसी एटीएम मशीन के उपयोग के लिए विवश करती है जिसमें स्किमर लगा हो। अक्सर अपराधी क्षेत्र में अन्य एटीएम निष्क्रिय कर देगा ताकि उपयोगकर्ता उस मशीन पर आकर्षित हों जिसमें स्किमर लगा हों,
    4. ग्राहकों को अपने बैंक खातों की नियमित जाँचकर यह सुनिश्चित कर लेनी चाहिए कि कोई असामान्य या अनधिकृत लेनदेन तो नहीं हो रहा हो। संघीय कानूनों में एटीएम धोखाधड़ी से हुआ नुकसान सीमित है और कई बैंक अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करते हैं,
    5. विवरण के लिए उपभोक्ताओं को अपने वित्तीय संस्थान के साथ संपर्क करनी चाहिए,
    6. यदि आपको किसी एटीएम के आसपास असामान्य या संदिग्ध कुछ भी दिखाई दें, या यदि आपको अपने बैंक खाते में अनधिकृत एटीएम लेनदेन मिले, तो तुरंत स्थानीय कानून प्रवर्तन और साथ ही अपने वित्तीय संस्थान और/ या बैंक को सूचित करें
    स्त्रोत-
    • सूचना सुरक्षा शिक्षा और जागरूकता (ISEA), सी डैक, हैदराबाद

    कुंडली ने जितने घर आज तक बसाये उससे ज़्यादा बसने नहीं दिये होंगे : विशाल सोनारा

    लाखों ठोकरो के बाद भी संभलते रहेंगे हम,
    गिरकर फिर उठेंगे और चलते रहेंगे हम,
    गृह-नक्षत्र जो चाहे लिखे कुंडली मे हमारी,
    मेहनत से नसीब बदलते रहेंगे हम....



    मित्रो जब से कंप्यूटर का चलन आया है तब से कुंडली मिलान की प्रथा हमारे  समाज में सबसे ज्यादा हो गई है । इससे पहले कभी भी हमारे पूर्वज कुंडली का मिलान नही करते थे । कुंडली हि नही बनती थी हमारे लोगो कि क्योंकि पैसा तो था नही दक्षीणा मे देने लायक , और ना ही ऐसी फुरसत ।

    आज आप के पूर्वज या माँ बाप जिनको आप अपने जीवन में उच्चतम स्थान देते होंगे । एक बार उनकी कुंडली मिलान करके देखिएगा । मै दावे के साथ कहता हूँ 90% कि कुंडली नही मिलेगी , जब कि सबसे सफलतम परिवार वही होगा ।

    आज आप शक्ल-सूरत,पढाई,आर्थिक स्थिति , शहर उम्र सब मिलाने के बाद कुंडली में आकर अटक जाते हो । इस कुंडली मिलान के चक्कर आप सब एक अच्छे जीवन साथी से चूक रहे है ।।

    आज हमारा समाज इतना पढा लिखा हो गया है हम वैचारीक दृष्टिकोण से इस देश मे सब से आगे है ये बात को कोइ प्रमाण की जरुरत नहि है, कम से कम इस वैज्ञानिक युग में हमे इन अंधविश्वासों को दूर करके एक अच्छे जीवन साथी की तलाश करनी चाहिए न कि एक अच्छी कुंडली की ।

    अगर आप ये बातों से सहमत है तो अपने बॉयोडाटा में जन्म की तारीख तो लिखे पर जन्म के समय की जगह लिखे हम कुंडली नही मिलाते । आप सब पढ़े लिखे लोग है, इसे एक अभियान बना दे । हमारे समाज की आधे से ज्यादा समस्या तो यु ही हल हो जाएगी जो कुंडली के चक्कर में अटकी है ।

    ज्योतिषी को हाथ दिखाना, पंडित से कुंडली पढवाना, क्या है यह सब.


    चिट्ठिया हो तो हर कोई बांचे, भाग न बांचे कोय.
    जो घट जाता है वही भाग्य है

    कुंडली का सच



    एक बार ज्योतिष सम्मेलन हुआ । वँहा पर एक व्यक्ति 10 कुण्डलिया लेकर आया और उसने ज्योतिषियों के समाने कुछ प्रश्न रखे ।

    1- इन 10 कुंडलियो में से कौन सी कुंडली लड़के की है और कौन सी लड़की की ?

    2- इन 10 कुंडलियो के आधार पर व्यक्ति के जन्म का समय  और स्थान क्या है ?

    3- कुंडली के आधार पर कौन सिंधी , कौन पँडित , कौन ठाकुर कौन किस जाति का है ?

    4- इन 10 कुंडलीयो में कौन कौन सा व्यक्ति जीवित अथवा मृत है ?

    5- इन 10 कुंडली के आधार पर कौन सा व्यक्ति शादी शुदा है और कौन कौन सा कुँवारा है ?



    उस महा सम्मेलन में किसी भी ज्योतिषी के पास इन सवालों का जवाब नही था ।

    मित्रो जिस कुंडली को देखकर आप आज यानी वर्तमान नही बता सकते है , उन कुंडलियो के आधार पर भविष्य को देखना एक मूर्खता के अलावा कुछ भी नही है ।

    मित्रो कुंडली मिलान के चक्कर में आप अपने बच्चो का भविष्य अन्धकार में ढकेल रहे है ।।

    कुंडली ने जितने घर आज तक बसाये उससे ज़्यादा बसने नहीं दिये होंगे ।।




    इन के रचीत ग्रंथ भी कुंडली का फौल्ट बताते दीखेगे जैसे इन लोगों ने राम और सीता की भी मिलाई थी, फिर भी सीता को वन मे भटकना पडा और रावन के यहा बंदी बन कर रहना पडा था


    - विशाल सोनारा

    મોહનદાસ કરમચંદ ગાંધીને ખરેખર શું કહેવું..?? મહાત્મા કે રાજકારણી..!! : જિગર શ્યામલન


    મોહનદાસ કરમચંદ ગાંધી ઉફેઁ મહાત્મા ગાંધી ઉફેઁ રાષ્ટ્રપિતા... બધા એમને મહાત્મા ગાંધી ગણાવતા હોય પણ તે મહાત્માથીય વિશેષ એક રાજકારણી જ હતા..
    દક્ષિણ આફ્રિકાથી સ્વદેશ પરત આવ્યા બાદ ગાંધીજીનું લક્ષ્ય અંગ્રેજ સત્તાને દુર કરી આઝાદી હાંસલ કરવાનું હતું. અહીં એક વાત સ્પષ્ટ કહેવી પડશે કે ગાંધીજી ભારતના લોકોને અંગ્રેજોની અન્યાયી સત્તાથી આઝાદ કરવાનું લક્ષ્ય ભલે રાખતા હતા પરંતુ ભારતમાં જ હિન્દુ ધમઁમાં સદીઓથી વણઁવ્યવસ્થાના ઓઠા હેઠળ અમાનવીય, પાશવી વ્યવસ્થામાં પિડાતા અશ્પૃશ્યોને આ હાલતમાંથી મુક્તિ આપવા તરફ એમનુ કોઈ ખાસ લક્ષ્ય ન હતું. 
    કેટલાક આ વાત સાથે સંમત નહી થાય અને તરત જ ગાંધીજીની અશ્પૃશ્યતા નિવારણની વિવિધ પ્રવૃત્તિઓ ગણાવવા માંગશે.
    પરંતુ આ બાબતે એટલું જ કહેવાનું કે અસ્પૃશ્યોને હરિજન ઓળખ આપી ગાંધીજીની હરિજન બંધુ બની હરિજનોની સેવા અને હરિજન ઉધ્ધાર કરવા માટે જે પણ વિવિધ પ્રવૃત્તિઓ કરવામાં આવી એ સ્વરાજની લડાઈ માટે વિશાળ જનસંખ્યામાં ફેલાયેલ અશ્પૃશ્યોનો સહકાર મેળવવા માટેનો એક માત્ર સફળ રાજકીય દાવ હતો વિશેષ કંઈ નહી..
    જ્યારે ગાંધીજી સ્વદેશ પરત ફયાઁ અને લોકોનો મુડ સમજવા ભારત ભ્રમણ કરવું શરૂ કયુઁ આ દરમિયાન એક સનાતન સત્ય ગાંધીજીને ખુદને સમજાઈ ગયું હતુ કે વિશાળ જનસંખ્યામાં ફેલાયેલ અસ્પૃશ્ય સમાજના સહકાર, સહયોગ વિના આઝાદીની લડતને અસરકારક બનાવી નિધાઁરીત પરિણામ મેળવી શકાય તેમ નથી જ.
    અસ્પૃશ્ય સમાજ હિન્દુ ધમઁનો જ એક ભાગ હોવા છતાં પણ સદીઓથી લાચાર અને દયનીય અવસ્થામાં જીવી રહ્યો હતો. અસ્પૃશ્યોની હાલત જાનવરો કરતા પણ ખરાબ હતી, કારણ એક આમ હિન્દુ સમાજનો માણસ અસ્પૃશ્યના સ્પશઁ તો ઠીક પણ પડછાયાથીય અભડાઈ અપવિત્ર બની જતો હતો. હિન્દુઓ તેમને માણસ ગણવાય તૈયાર ન હતા.
    આવા સમયે આભડછેટ સાથે જીવતો સમાજ આઝાદીની લડતથી વિમુખ રહે તે સ્વાભાવિક હતુ. કારણ અસ્પૃશ્યોને વિદેશી અંગ્રેજોથી જેટલી પીડા ન હતી તેનાથીય વધુ પીડા પોતાના જ દેશના, પોતાના જ ધમઁના લોકોથી મળી રહી હતી.. એટલે અસ્પૃશ્યો આઝાદીની લડાઈથી વિમુખ રહે તો તેનો સીધો જ લાભ અંગ્રેજ સત્તાને મળે આ વાત ગાંધીજી સારી રીતે જાણતા હતા.. સમજતા હતા. ભારતમાં ફેલાયેલ 1/5 ભાગનાં અસ્પૃશ્યોને દુર રાખીને આઝાદીની લડત લડી શકાય તેમ ન હતી, લડવામાં આવે તો પણ સફળ બની શકે કે કેમ તે પણ એક સવાલ હતો. 
    અસ્પૃશ્યોને પોતાની સાથે જોડી તેમનુ વિશાળ સમઁથન મળી રહે તે માટે ગાંધીજીને હરિજનબંધુ બનવું પડ્યું.
    શું ગાંધીજી ખરેખર અસ્પૃશ્યતા નાબુદી કરી અસ્પૃશ્યોનો ખરા અથઁમાં ઉધ્ધાર થાય તેવું ઈચ્છતા હતા..????
    ઈતિહાસને તપાસીએ તો જવાબ કદાચ નકારમાં જ હોઈ શકે. અસ્પૃશ્યતા વણઁવ્યવસ્થાની નિપજ હતી. ખરેખર અસ્પૃશ્યતા નાબુદ કરવા માટે પહેલા વણઁવ્યવસ્થાને નાબુદ કરવી પડે. એ સિવાય અસ્પૃશ્યતા નાબુદી કરવાની વાત હવામાં કિલ્લા બાંઘવા જેવી હતી. તેમ છતાં મહાત્માજી પોતે પણ વણઁવ્યવસ્થાને સહેજ પણ છેડ્યા વિના તેને ઈશ્વરીય વ્યવસ્થા અને ધમઁની દેન ગણાવીને તે ચાલુ રહે તેવી તરફદારી જ કરતા હતા..
    માની લો તમે તાળુ લગાવેલ પાંજરામા પુરાયેલ માણસને આઝાદ કરવા માંગો છો..?? તમારી પાસે તાળાની ચાવી પણ નથી.. તો તમે શું કરશો..??? 
    સ્વાભાવિક રીતે જ તમે પાંજરા પર પ્રહાર કરી પાંજરૂ તોડવાનો પ્રયાસ કરશો.. અને પાંજરૂ તોડીને પુરાયેલ માણસને આઝાદ કરવાનો પ્રયાસ કરશો. પણ..!!!! ગાંધીજી પાંજરાને તોડ્યા વગર જ માણસને પાંજરાની બહાર કાઢવાની વાતો અને પ્રવૃત્તિઓ કરતા હતા.
    ગાંધીજી ખરેખર અસ્પૃશ્યોના હિતેચ્છુ હતા..??? એ વાત સમજવા ગોળમેજી પરિષદમાં ડો.આંબેડકર અને આર.શ્રીનિવાસન જેવા અસ્પૃશ્ય પ્રતિનિધીઓની મહેનત અને રજુઆતોથી અસ્પૃશ્યોને મળેલ અલગ મતાધિકારના મુદ્દે ગાંધીજીનું અક્કડ, જક્કી વલણ પુરતુ છે.
    ગોળમેજી પરિષદમાં ખ્રિસ્તી, મુસ્લિમો અને શીખોને આપવામાં આવેલ અલગ મતાધિકાર માન્ય રાખનારા ગાંધીજી અસ્પૃશ્યોને મળેલ અલગ મતાધિકારનો કટ્ટરતાથી વિરોધ કરે.. અને અસ્પૃશ્યોને આ અલગ મતાધિકાર ન મળે તે માટે પોતાની તમામ તાકાત કામે લગાવી દે... તો હરિજનબંધુ ગણાવતા ગાંધીજીનું આ વલણ એક તટસ્થ અભ્યાસુ તરીકે કેવી રીતે મુલવવું..????
    વળી સીધો વિરોધ કરી ઓછુ ખપતુ ન હોય તેમ જ્યારે પ્રયાસો વિફળ થતા જણાયા ત્યારે અસ્પૃશ્યોને અલગ મતાધિકાર ન મળે એ માટે સેક્રેટરી ઓફ સ્ટેટ ફોર ઈન્ડીયા સર સેમ્યુઅલ હોરને બ્લેકમેઈલ કરવા " I should resist with my life the grant of seperate electorates to the depressed classes (શુધ્ધ ગુજરાતીમાં... દલિતોને આપેલ અલગ મતાધિકારનો વિરોધ હું મારા જીવનના ભોગે કરીશ) આવો શુધ્ધ ધમકીભયોઁ પત્ર લખી ગાંધીજી શું સાબિત કરવા માંગતા હતા...???
    આ બધા સવાલોના જવાબ તમે જાતે જ નક્કી કરો.. 
    @ જિગર શ્યામલન










































    Facebook Post :-




    न्यायतंत्र के भ्रष्टाचार के सामने आवाज उठाने वाले जस्टीस कर्णन को ही सजा दे दी गई

    पूरी कहानी एक सीलबंद लिफ़ाफ़े से शुरू हुई, जो एक दिन प्रधानमंत्री कार्यालय पहुँचा।

    पूरी कहानी आप सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले में पढ़ सकते हैं।
    उस लिफ़ाफ़े में जस्टिस कर्णन ने यह बताया था कि ज़िला जजों की नियुक्ति में किस तरह 10 करोड़ तक की रिश्वत ली जाती है। बड़ी अदालतों में भी जजों के बीच काम के बँटवारे में भी रुपए का लेनदेन होता है।
    उचित तो यह होता कि प्रधानमंत्री इसकी जाँच का आदेश सक्षम एजेंसी को देते।
    लेकिन यह शिकायत सुप्रीम कोर्ट को भेज दी गई। जबकि शिकायत में सुप्रीम कोर्ट के जजों के खिलाफ भी सबूत थे। ये शिकायत लीक भी हो गई।
    इसे सुप्रीम कोर्ट ने अपना अपमान माना और जस्टिस कर्णन पर कॉंटेप्ट ऑफ कोर्ट का मुकदमा चला दिया।
    उसके बाद जो हुआ, वह आप सब जानते हैं।
    कोर्ट में पैसा चलता है, यह किससे छिपा है। जस्टिस कर्णन ने सफाई का एक मौक़ा दिया था।
    सुप्रीम कोर्ट ने उसे गँवा दिया।


    ***

    जस्टिस कर्णन के बयानों पर मीडिया में रोक लगाकर सुप्रीम कोर्ट के जातिवादी जजों ने बता दिया है कि वे कितना डरे हुए हैं।
    हाई कोर्ट का जज होने के नाते ऐसी रोक जस्टिस कर्णन भी लगा सकते थे। लेकिन वे संविधान का सम्मान करते हैं।

    ***
    ( दिलीप मंडल जी की फेसबुक वोल से)
    जस्टिस कर्णन का पूरा फ़ैसला पढ लीजीये...

    सरकार मे विपक्ष की भुमिका : विजय जादव


    बहुमतवाली सरकार अगर प्रजा द्वारा चुनकर आयी हुई हो तो विपक्ष भी कही आसमान से नही टपका. उनकोभी प्रजा द्वारा ही जीताकर भेजा गया है. बहुमत जीसे मिला हो वो पक्ष सरकार बनाकर प्रजा के हीतमे निर्णय लेकर शाषन चलाता है. तो बाकी बचे सब प्रतिनीधि प्रजा का प्रतिनीधित्व करके सरकार द्वारा हो रहे कामकाज की देखरेख रखता है.

    लोकतंत्र मे विपक्षकी भुमिका बहोतही महत्वपुर्ण है परंतु कोंग्रेस और भाजपाने इसे मजाक बनाकर रखदी है! जीतनी जरुरत अच्छी सरकारकी है उतना ही जरुरी है अच्छे विपक्ष का होना. 

    कोई काम पुरा करने की जीम्मेदारी अगर सत्तापक्ष की है तो विपक्ष की पुरी जीम्मेदारी है उन कामो पर नजर रखनेकी.

    कई बार ऐसा हो सकता है की सरकार द्वारा ऐसे निर्णय लिए जाए जो प्रजाके हित के अनुरुप ना हो. उस समय पर अगर विपक्ष भेदी मौन बनाकर चुपचाप रहे तो वो सरकार का मौन समर्थन ही बोल सकते है. और ऐसे समय पर देशकी असली मालिक जनता के लिए दोनो साझा गुनहगार बोल सकते है, क्योंकी सरकार के कीसीभी गलत निर्णय का विरोध करना विपक्ष का कर्तव्य है.

    सरकार द्वारा लिए गये गलत फैसले को और उससे होने वाले दुष्परिणाम को प्रजा तक पहोचानाही उनका कर्तव्य है. प्रजा के अधुरे काम के बारेमे प्रश्न उठाना विपक्षकी जीम्मेदारीमे आता है.

    विपक्ष चाहे तो लोकतात्रिक तरीकेसे सरकारका विरोध करना, धरने करना, जनआंदोलन कर सकते है. जीससे मजबुर होकर सत्ता पक्ष अपना फैसला वापस ले सकता है.

    मतलब ये बात हमे माननी ही पडेगी की सीर्फ हम सरकारकी ही आलोचना या विरोध करके विपक्षको नजर अंदाज नही कर सकते. सरकार अगर ईतने सालोसे खराब शाषन कर रही हो तो सरकार या सत्तापक्ष जीतने जीम्मेदार है तो विपक्ष भी उतना ही जिम्नेदार बनता है.

    भारतमे विपक्ष सीर्फ सरकारको ब्लेकमैल करने जीतना ही विरोध करके खुदके काम निकल जाए उतना ही ध्यान देते है. वो बात कोंग्रेस और भाजपा दोनो पर लागु होती है.

    विपक्षकी भुमिका सीर्फ जन हितका ध्यान रखने की है. 

    पांच सालके अंत मे प्रजाको भी देख लेना पडे की कीसने अच्छा काम कीया सत्ता पक्षने की विपक्ष ने?

    -- विजय जादव








    સહાનુભૂતિયો થી શકોરું પણ નથી મળવાનું.. - પ્રશાંત લેઉવા

    આ દિયોરનું શું રોજે રોજ સવાર પડે ને દલિત પર ત્યાં અત્યાચાર થયો ને ફલાણે માર માર્યો ને અહીં ખૂન થયું......

    હવે તો ગુસ્સો સામે વાળાઓ પર નહીં આપણા વાળાઓ પર આવે છે... એક કિસ્સો છેલ્લાં બે વર્ષથી નથી જોયો સાંભળ્યો કે સામેવાળાઓ ને બરાબર નો ઠમઠોર્યો હોય બોચી ઝાલી પાટા માર્યા હોય... કયા મોંઢે તમે દલિત દલિત અત્યાચાર અત્યાચાર કરી ખોટી સહાનુભૂતિ ઉઘરાવી લો છો એજ નથી સમજાઈ રહ્યું..

    તમારે ખુદ ને બડઘાટી બોલાવી પડશે. સહાનુભૂતિયો થી શકોરું પણ નથી મળવાનું.. ભોજિયોભાઈ પણ ભાવ નહીં પૂછે આમ જ રોતા રહેશો તો.. કંઈક થાય એટલે અમે દલિત એટલે આવું થયું.. પણ અલ્યા તને કોણે દલિત કહ્યો ?? તું તારી જાતે મંડયું છે. શુ રોવા બેઠયું છે તને જવાબ આપતા નથી આવડતું ??? 

    ઉભા થાવ કંઈક કરો લ્યા.. ૧૫-૩૦ હજાર નો મોબાઈલ રાખવા વાળા ભીમ ના છોકરાવ ૫-૧૦ હજાર નું હથિયાર પણ રાખતા સીખો.. સુરક્ષા રેહશે.. આમ રોજે રોજ ના વોટ્સએપિયા દલિત અત્યાચારના મેસેજીસ થી ઉબ આવી ગયો છું...

    અશાંતવાણી: દલિત અત્યાચારના કિસ્સા અને મેસેજીસ હું વાંચતો નથી...

    -- પ્રશાંત લેઉવા "અશાંત"













    Facebook Post :-