जैसा की हम सब जानते है, बाबासाहब डॉ भीमराव आम्बेडकर स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री, भारतीय संविधान के निर्माता के साथ साथ एक स्वतंत्र विचारक, अद्भुत विद्वान तथा विश्व की एक महान विभूति थे.. अगर बाबासाहब चाहते तो ज्ञान और प्रतिभा के बल पर वो अच्छी स अच्छी नौकरी ले सकते थे और आराम से अपनी जिंदगी बिता सकते थे, लेकिन उन्होंने अपना सारा जीवन दबे, कुचले, पिछड़े वर्गों और सर्वसमाज की महिलाओ के सामजिक उत्थान के कार्यो में लगा दिया.. उन्होंने सिर्फ पिछड़े समाज ही नहीं बल्कि पुरे भारत देश के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया.. बाबासाहब डॉ भीमराव आम्बेडकर के लेखन तथा भाषण, सामाजिक चिंतन के इतिहास और विकास के कालजयी दस्तावेज है..
बाबासाहब के जीवन संघर्ष का प्रमुख उदेश्य जातिभेद का बीजनाश करना था.. “Annihilation Of Cast” यानि “जातिभेद का बिजनाश” भी बाबासाहब डॉ आम्बेडकर का एक ऐसा ही क्रांतिकारी भाषण और जीवन संघर्ष का चिंतन ग्रन्थ है, जो उन्होंने १९३६ में लिखा, जिसमे जाति, जातिवाद और जातिवाद के विरोध और नाश से सम्बंधित बहोत शसक्त जानकारी दी है.. इसी ग्रन्थ में बाबासाहब ने जातिभेद और उसके बिजनाश के साथ साथ, बुद्धिजीवी वर्ग और देश के भविष्य से सम्बंधित बहोत ही महत्वपूर्ण और विचारणीय बात लिखी है..
बुद्धिजीवी वर्ग के बारे में बाबासाहब लिखते है की, “प्रत्येक देश में बुद्धिजीवी वर्ग सर्वाधिक प्रभावशाली वर्ग रहा है, भले ही वह शासक वर्ग न रहा हो.. बुद्धिजीवी वर्ग वह है जो दूरदर्शी होता है, सलाह दे सकता है और नेतृत्व प्रदान कर सकता है.. किसी भी देश की अधिकांश जनता विचारशील एवम क्रियाशील जीवन व्यतीत नही करती.. ऐसे लोग प्रायः बुद्धिजीवि वर्ग का अनुकरण और अनुगमन करते है..”
साथ की साथ देश के भविष्य के सन्दर्भ में बाबासाहब ने एक अति महत्वपूर्ण बात लिखी है की, “यह कहने में अतिश्योक्ति नही होगी की किसी भी देश का सम्पूर्ण भविष्य उसके बुद्धिजीवी वर्ग पर निर्भर होता है.. यदि बुद्धिजीवी वर्ग इमानदार, स्वतंत्र, और निष्पक्ष है तो उस पर यह भरोसा किया जा सकता है की संकट की घडी में वह पहल करेगा और उचित नेतृत्व प्रदान करेगा.. बुद्धिमान व्यक्ति भला हो सकता है, लेकिन साथ साथ दुष्ट भी हो सकता है.. उसी प्रकार बुद्धिजीवी वर्ग उच्च विचारो वाले व्यक्तिओ का एक दल हो सकता है, जो सहायता करने के लिए तैयार रहता है और पथभ्रष्ट लोगो को सही रस्ते पपर लाने के लिए तैयार रहता है..”
इस तरह "जातिभेद का बिजनाश" ग्रन्थ में बाबासाहब ने देश के हित में बुद्धिजीवी वर्ग का क्या योगदान है, उसे बखूबी निरूपण किया है.. उन्होंने दर्शाया है की किस तरह बुद्धिजीवी वर्ग देश के भविष्य के निर्माण में सहायक बन सकता है..
(सन्दर्भ : बाबासाहब आम्बेडकर सम्पूर्ण वांग्मय खंड- १ (जातिभेद का बिजनाश), पृष्ठ- 94 / 95)
-- कुंदन कुमार