By Vishal Sonara || 31 July 2017 at 14:48
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आज एक पुराना विडीयो मैने देखा उस विडीयो का टाईटल कुछ इस प्रकार है "Real History of 'Jallianwala Bagh Kand' By Prof. Gurnam Singh Mukatsar, University of Panjab, Panjab"
विडीयो मे दीखाई गई बात :-
विडीयो मे पंजाब विश्वविद्यालय के प्रोफेसर गुरनाम सिंह ठोस सबूतों के हवाले से बताते हैं कि जालियाँवाला बाग में उन अछुत सिखों की सभा चल रही थीं जिन्हें स्वर्णमंदिर में घुसने नहीं दिया गया था जहाँ वे प्रथम विश्वयुद्ध 1918 में भाग लेने के बाद 1919 में सकुशल बच आये थे और गुरु का शुक्रिया अदा करने दरबार साहब अमृतसर गये थे।
पर उनको जातीवाद के चलते अंदर जाने नही दीया गया, उन का अपमान कीया गया , उन को गालीया दी गई। इन सब बातो का विरोध करने के लीये वह लोग ईकठ्ठा हुए, जालियाँवाला बाग में उन की मीटींग रख्खी गई। और उस सभा मे जो गोलीया चली वो जथेदार अरुर सींग के कहने पर जनरल डायर ने चलवाई थी, जो की उन दीनो स्वर्णमंदिर के मैनेजर थे। जब गोली चली हजारो लोग मर गये तब वो जनरल डायर को दरबार साहब ले जाया गया वहा जा कर उस का सम्मान कीया गया उस को सरोपा (robe of honour) दीया गया। और ये बात जगदेव सींघ जस्सोवाल (Former congress MLA, Died Dec 2014) ने पार्लीयामेंट मे एक डीबेट मे नोट करवाई हुई है। इतनी बडी एन्फोर्मेशन हमारे लोगो को नही है। जालियाँवाला बाग हत्याकांड अछुत लोगो पर हुआ था और उन पर गोली उंची जाती के लोगो के कहने पर चलाई गई और उस की रुपरेखा बदल दी गई।
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बहोत हैरानी की बात है की इतिहास से यह सब गायब है।
हमारे देश के इतिहास को जितना जातिवादी लोगो ने तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है शायद ही दुनिया के किसी और देश में किया गया हो, दरसल यह सब एक साजिश के तहत किया गया ताकि इस देश के मूल निवासी अपना सही इतिहास ना जान पाए।
जिस जलियावाला काण्ड को हम यह कह कर पढ़ते है की वहा पर देशभक्तो की कोई देश की आजादी के लिए मीटिंग हो रही थी दरअसल वहा पर देशभक्तों की तो ठीक है पर सुवर्ण मंदिर से जलील किए गए "अछूतों की मीटिंग" हो रही थी जो अपने उच्च जातीय भेदभाव के मुद्दों पर विचार करने के लिए इकट्ठे हुए थे।
जालियांवाला हत्याकांड के मुजरिम जनरल ड़ायर को स्वघोषित उच्च जाति के बड्डे बड्डे महान क्रांतिकारीयों ने क्यों नहीं मारा ? दलित उधमसिंह ने ही उसे लंदन में घुसकर मारा, क्यों ?
इतिहास में हम दफन है पर हमें इतिहास दफनाने वालों का पढ़ाया जाता है।
जय भीम, जय भारत!!!
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यदी पिछडे sc st obc minorities, जो भारत की लगभग 85% आबादी है, उनके के दिलों में देशप्रेम है तो उन्होंने आपसी ऊंचनीच का भाव मिटाकर ईमानदार सरकार देश में बनानी चाहिये.
ReplyDeleteहमेशा से बहुजनो को बहुत भारी बलिदान देने के बाद छोटी सी सफलता मिलती है। हमारी पहली पीढ़ी को अपने आपमें बहुत कुछ बलिदान करना होगा और बहुजन महिला एवं सभी बच्चो को हर ईस्थती में शिक्षा दिलाना अति आवश्यक है तभी आने वाली दूसरी बहुजनो की पीढ़ी को अपने देश में सभी अधिकार मिलसकेंगे बहुजनो में जयचनदो से भारी परेशानी भी है,जय बहुजन जयभीम जयभारत।
ReplyDeleteबहुत अच्च्ही बात बताइ
ReplyDeleteइन लोगों के फितरत में लिखा है कि मूल इतिहास को तोड़ मरोड़ कर पेश करना। जब तक पूजा पाठ करते रहेंगे तब तक उंच नीच के भेद भाव कम नहीं होगा। धन्यवाद।
ReplyDeleteHe is not Prof. He was a school teacher. He didn't have degree of Ph.D. which necessary for the Professor of University.
ReplyDeleteMadam ji Apne wahi Parag hai jo kitabo may likha hai.jo hisabo may hai kabi samjiyega
DeleteNice information .Thanks
ReplyDeleteअब एक महाक्रांति और करनी होगी मनुवादियों के खिलाफ अपने समाज 85℅ को शिक्षित करके और अपने इतिहास को अपने समाज के बीच मे रखकर
ReplyDeleteक्रांतिकारी जय भीम सप्रेम नमो बुद्धाय
बोल 85 जय मूलनिवासी
Very Good Knowledge
ReplyDeleteJai Bhim
Jai Bharat
This is a hate spreading group for dividing hindus. Be aware of such liars.these are gaddar of nation and all citizen of India.
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ReplyDeleteउद्धम सिंह दलित था इसलिए सारा वाक्या दलित हित के इर्द गिर्द बुनो , भगत सिंह और उसके साथी , चन्द्रसेखर आजाद इत्यादि स्वर्ण थे इसलिए सारा वाक्य सवर्णो के इर्द गिर्द बुन कर लिखो
ReplyDeleteजबकि इन लोगो ने खुद कभी ऐसी कोई गवाही नहीं दी , सभी ने 'वन्दे मातरम कहा'
वाकये बहुत हो सकते हे लेकिन उसे यहाँ से वहा जोड़ना और एक नई स्टोरी बनाना ये काम गद्दारो का हे ।
अगर मुख्य आरोपी स्वर्ण मंदिर का जत्थेदार था तो फिर उद्द्म सिंह को वहा ब्रिटेन में जा कर डायर को मारणके लिए २५ साल इंतजार करने की क्या जरूरत थी , यही पास में जत्थेदार को मार देता ।
ReplyDeleteकहाँ से लाते हो इतनी बकवास। ऊंची जातियों के कहने पर अंग्रेजो ने नीची जाती वाली की हत्या कर दी! क्या अंग्रेज उनके कहने पर चलते थे, कौन अंग्रेज अफसर अपने कैरियर और ज़िंदगी को दांव पर लगाकर ऐसा नरसंहार करेगा जिसका परिणाम उसको भगतना पड़े वो भी भारत के लोगो के कहने पर, मूर्ख ही हो क्या? सेंस तो हो किसी बात का कुछ या बस बकवास ही करनी आती है। अंग्रेज गुलाम नही थे तुम गुलाम थे तुम उनके हिसाब से चलते थे ना कि अंग्रेज तुम्हारे हिसाब से चले। कुछ सिक्खों ने गद्दारी जरूर की थी जिन्हें अंग्रेजो से इनाम भी मिला, फिर तो उन गद्दारों को इनाम नही मिलना चाहिए था बल्कि अंग्रेजो को ईनाम मिलना चाहिए था। पहले नग्रेजो ने गुलाम बनाये रखा अब उनकी फैलाई मानसिकता ने तुम लोगो को गुलाम बना रखा है, अपने धर्म के प्रति ईर्ष्या द्वेष फैलाना मतलब आज भी अंग्रेजो की मानसिक गुलामी भुगत रहे हो।
ReplyDeleteAngrezon ne itna bhi gulam nhi banaya..Angrezon ne talent ki hamesha izzat ki
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