July 09, 2017

"वर्ल्ड हेरिटेज" अहमदाबाद मे #NotInMyName , 09 जुलाई 2017

By Vishal Sonara



कल युनेस्को ने अहमदाबाद को हेरीटेज सीटी का दरज्जा दीया लोग काफी खुश थे पर जीन की बदौलत अहमदाबाद का अस्तीत्व है वह अहमद शाह बादशाह के धर्म के लोगो पर ही इतने अत्याचार पुरे देश मे हो रहे है की ये खुशी ज्यादा देर तक नही टीकती. देश मे बढती हिंसक घटनाए और गाय के नाम पर इंसानो की हो रही हत्याओं के खिलाफ अहमदाबाद गुजरात मे सामाजिक संगठन जमीयत-ए-उलेमा-ए-अहमदाबाद आयोजीत एक विरोध प्रदर्शन मे लोगो ने मानव शृंखला बनाकर प्रदर्शन किया। आए दीन कीस्से सुनने को मीलते है की गौ रक्षा के नाम पर दलीतो और मुसलमानो पर अत्याचार कीया गया हो। उना की घटना को एक साल होने को है पर गौ रक्षको की गुंडाई मे कमी आने की वजह मामला और गंभीर स्वरुप लेता जा रहा है। ऐसे हालात मे शहर के जागृत तबके के लोगो ने ईन सब अत्याचारो का विरोध करने के लीये ये विरोध प्रदर्शन रखा। इस विरोध प्रदर्शन में मुफ्ती अब्दुलकय्युम अहमद हुसैन मनसुरी साहब भी थे जीनको सीतंबर 2002 मे गांधीनगर अक्षरधाम मंदीर पर हुई हमले पर 11 साल जैल मे रहने के बाद हाल ही मे अदालत ने बाईज्जत बरी कीया था वो उपस्थित थे। सभी वक्ताओं ने इस बात पर कही कि आज देश साप्रदायिक ताकते देश का माहौल खराब करने में लगी हैं। गाय के नाम पर बेगुनाह लोगो को मारा जा रहा हैं और सरकार मूकदर्शक बनी हुई हैं। एसी घटनाओं पर जल्द रोक लगनी चाहिए ।
‘नॉट इन माइ नेम’ कैम्पियन भोपाल , दिल्ली , बेंगलुरु , मुंबई और भी कई शहरो मे और विदेशो मे भी हो रहा है । दिल्ली-मथुरा ट्रेन में भीड ने जीस बेरहमी से जुनैद की हत्या कर दी थी उसे सुनकर लोग ये विरोध प्रदर्शन के लीये सडको पर उतरने पर मजबूर हुए।
अहमदाबाद के देशप्रेमी लोग इस प्रदर्शन मे जुडे थे और ऐसी घटनाओ पर सरकार की नीतीओ पर सवाल उठा रहे थे।
लोगो का कहना था की क्या भीड़तंत्र, लोकतंत्र पर हावी होने जा रहा है? नफरत को बढ़ावा क्यों दिया जा रहा है? ये मेरा भारत है। मेरे भारत में सभी के विचारों को सुनने और सभी संस्कृतियों को स्वीकार करने की आजादी देता है। यही हमारी खूबसूरती है और ये बात ही हमें दुनिया से अलग करती है। हर कोइ वहां एक आम नागरिक के तौर पर अपनी आवाज उठाने आये थे और आगे भी सदा उठाते रहने का संकल्प कीया लोगो ने। भारत से अच्छा कोई देश नही बस नफरत करने वालो को रोका जाये वो चाहे जिस समाज के हो।
(तसवीरें और सुचना मुहम्मद अबरार)



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झूठ, मक्कारी और फरेब वाली जाति व्यवस्था के आज भी मौजूद होने को और कैसे समझें?

By Dilip C Mandal







जातिवाद का विचार अगर कमजोर होता तो देश के तमाम बुद्ध, कबीर, रैदास, नानक, फुले, सावित्रीबाई, साहू, नारायणा गुरु, आंबेडकर, पेरियार, रामस्वरूप वर्मा, जगदेव प्रसाद, कर्पूरी ठाकुर, बीपी मंडल वगैरह के प्रयासों से खत्म हो चुका होता.
आज भी जातिवाद और ब्राह्मण वर्चस्व विकराल रूप में मौजूद है, इसका मतलब है कि जाति का सिद्धांत बेशक गलत हो, लेकिन है बेहद मजबूत.
सही होना और शक्तिशाली होना, दो अलग अलग बातें हैं.
झूठ, मक्कारी और फरेब वाली जाति व्यवस्था के आज भी मौजूद होने को और कैसे समझें?
भारत की 85% आबादी की शक्तिहीनता और देश की बदहाली, गरीबी और अशिक्षा को और कैसे समझें?