March 09, 2018

भारत मे मुस्लिमों और अनुसुचीत जाती के लोगो के हालात पर यु.एन. ने चींता जताई

By Vishal Sonara || 9 March 2018



संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद् के हाई कमीश्नर जईद राद अल हुसैन बुधवार (7 March 2018) को ह्युमन राईट्स काउंसील के 37 वें सेशन को संबोधीत किया. उस मे उन्होने दुनीया के कई देशो मे मानवाधिकार के संदर्भ मे जो काम हुआ है वो बताया और उन देशो की समस्या को दुनिया के सामने रखा. जईस जईद राद अल हुसैन ने भारत के बारे मे बताते हुए भारत के अनुसुचीत जाति और मुस्लिमो पर हो रहे अत्याचार पर चींता जताई और पुरी दुनिया के सामने ये समस्या रखी. हाई कमीश्नर ने अपनी बात जो कही उसका हिन्दी भाषांतर दे रहा हु. 

"भारत के संदर्भ मे , अल्पसंख्यको के उपर हो रहे भेदभाव और अत्याचारो से मेरी चींता बढती जा रही है, अल्पसंख्यको मे दलित (अनुसुचीत जाती के लोग) और धार्मीक अल्पसंख्यक लोग जैसे की मुस्लीम सामेल है. कुछ मामलों मे ईस प्रकार के अत्याचारों मे स्थानीय लोग और धार्मिक प्रतिनिधियों के भी सक्रिय होने की जानकारी मील रही है. मैं इस बारे मे भी चिंतित हुं की कुछ दावो के अनुसार सरकारी नीतियों की आलोचना लगातार देशद्रोह या राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा करार दि जाती है. मैं हजारों गैर-सरकारी संगठनों के पंजीकरण रद्द करने या निलंबन के जरिए महत्वपूर्ण आवाजों पर रोक लगाने के प्रयासों से गंभीरता से चिंतित हूं, उन संगठनों में मानव अधिकारों और यहां तक कि सार्वजनिक स्वास्थ्य समूहों के से जुडे समूह भी शामिल हैं.  कश्मीर के संबंध में, अफसोस की बात ये है कि नियंत्रण रेखा के दोनों तरफ से (भारत-पाकिस्तान) संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद् के लोगों को बीना किसी शर्त के जाने देने को बार बार मना कर दिया जाता है, और मैं इस मुद्दे पर जून महिने में विस्तार से विवरण दुंगा. "

In English :-
In India, I am increasingly disturbed by discrimination and violence directed at minorities, including Dalits and other scheduled castes, and religious minorities such as Muslims. In some cases, this injustice appears actively endorsed by local or religious officials. I am concerned that criticism of government policies is frequently met by claims that it constitutes sedition or a threat to national security. I am deeply concerned by efforts to limit critical voices through the cancellation or suspension of registration of thousands of NGOs, including groups advocating for human rights and even public health groups.
With respect to Kashmir, on both sides of the Line of Control, regrettably unconditional access continues to be refused to my Office, and I will report on this issue at greater length in June.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद् के हाई कमीश्नर जईद राद अल का ये बयान संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की वेब साईट से लिया गया है. 

इस बात से ये साबित हो रहा है की आंतर राष्ट्रीय लेवल पर भारत मे अनुसुचीत जाती और मुस्लिमो पर हो रहे अत्याचारो की खबरे जा रही है. और पुरी दुनीया इस का संग्यान ले रही है. देश मे शांति है ये सब दावे हवा साबीत हो रहे है.

और एक चौंकाने वाली बात है की इतनी बडी खबर की भारतीय मीडिया मे कोइ खबर नही चल रही है. इस लिए अब ये मानना जरुरी हो गया है की भारत मे मुस्लीमो और नीचली जाति के लोगो के लिए मीडिया काम नही कर रहा है. ये जातिवादी मीडिया है.