By Social Media Desk
आप को तो सिर्फ परशुराम और क्षत्रीयो की ही कहानी पता है, पर ब्राह्मणो और क्षत्रीयों के बीच मे ऐसी लडाईयों का बहोत सा वर्णन वेदो और पुराणो मे पाया जाता है, इस मे से एक बताता हु.
एक महा प्रतापी राजा वेन नाम का राजा हुआ, उसने अपने राज्य का सर्वे सर्वा अपने आप को घोषीत कर दिया और यग्न और अन्य धार्मीक परंपराओ को त्याग दिया. ब्राह्मणो ने बाद मे उस राजा को समजाया पर वो नही समजा तो उसे हराकर मार दिया और उस के पुत्र पृथु को राजा बनाआ. पृथु ने अपने पीता की मोत का बदला लेने की जगह ब्राह्मणो का भक्त बनकर राज किया.
- ये सब वर्णन "हरिवंश पुराण" के प्रथम अध्याय मे है. ब्राह्मणो के इतने अंधे भक्त ये लोग हो चुके थे की अपने पुरखो की मौत का बदला लेने कि सोच तो न रख पाते पर उनको ही पुजते चले गए.
इस प्रकार की बहोत सी बाते क्षत्रीयो और ब्राह्मणो के बीच के मुद्दो को पुराणो मे सामेल किया गया है ताकी मानसीक गुलामी कभी कम न हो. पर आज इस आधुनीक युग मे भी अगर ब्राह्मण अपनी श्रेष्ठता को मनवाने के लिए क्षत्रीयों को अछुतो और शुद्रो के बीच लडा रहा हो तब क्षत्रीयों को ये सब चालबाजी समज लेनी चाहिए और धार्मीक किताबो मे लिखा गया गुलामी का इतिहास समजकर समजदारी से काम लेना चाहिए. आज क्षत्रीयों का हिस्सा भी SC ST OBC नही ब्राह्मण खा रहा है. दिमाग को खोलकर हमे साथ अगर नही भी दे सकते तो रास्ते मे रोडा मत डालो. आप के हिस्से की भी लडाई लडी जा रही है.
(This Story also narrated By Dr Ambedkar , Volume 3, CHAPTER 15 , Brahmins Versus Kshatriyas )
(This Story also narrated By Dr Ambedkar , Volume 3, CHAPTER 15 , Brahmins Versus Kshatriyas )