सहारनपुर में ठाकुर और अनुसुचीत जाती के लोगो के बीच हुए जातीय संघर्ष के बाद भीम आर्मी नाम का संगठन चर्चाओं में है.
इस संगठन का पूरा नाम 'भीम आर्मी भारत एकता मिशन' है. शब्बीरपुर में अनुसुचीत जाती के लोगो के मकान जलाने के बाद उपद्रवी ठाकुर इतने चर्चित नहीं हुए जितना भीम आर्मी को निशाना बनाया जा रहा है. इस संगठन को बैन करने की मांग की जा रही है ऐसे में भक्त आजतक ने मंगलवार को कई स्थानों पर हुई आगजनी को भीम आर्मी से जोड़कर उसकी खबर भी 'जुर्म' के सेक्शन में लगा दी.
आरएसएस के कार्यकर्ताओं का अकसर हिंसक घटनाओं में नाम आता रहा है लेकिन फिर भी उसे सांस्कृतिक संगठन के नाम पर जातीवादी मीडिया का संरक्षण मिलता रहा है. वहीं इस भीम आर्मी के आक्रोश को पहली बार में ही जुर्म के सेक्शन में डालना मीडिया की मंशा पर सवाल खड़े कर रहा है.
भीम आर्मी के अध्यक्ष चंद्रशेखर का कहना है कि ‘भीम आर्मी’ का मक़सद सहारनपुर का माहौल ख़राब करना नहीं है, बल्कि वो इंसाफ़ चाहते हैं. शब्बीरपुर में बर्बाद लोगों के लिए मुआवज़ा चाहते हैं, और चाहते हैं कि जिन राजपुतों ने अनुसुचीत जाती के लोगो को अपना निशाना बनाया, उनकी गिरफ़्तारी हो. ‘भीम आर्मी’ का कहना है कि पुलिस इस मामले में कार्यवाही के नाम पर सिर्फ़ अनुसुचीत जाती के लोगो को ही निशाना बना रही है.
संस्कृति की रक्षा करने के नाम पर आतंकवाद फैलाने वाले भगवा आत॔कियों के खिलाफ की एक बुलंद आवाज "भीम आर्मी".
सहारनपुर में ठाकुरों ने अनुसुचीत जाती के लोगो की बस्ती में हुड-दंग किया या के युवाओं की महिलाओं की बुजुर्गो की पिटाई की , इसके बदले में पुलिस ने अपनी जातिवादी मानसिकता के चलते ठाकुरों पर कोई कारवाही नहीं की डी एम् भी चुप रहा इसी बीच वीर बहादुर (!!) ठाकुरों ने २० से जयादा निहत्थे अनुसुचीत जाती के लोगो को तलवारों से घायल कर दिया . लेकिन फिर भी पुलिस वालो ने कोई कार्यवाही नहीं की इस पर गुस्साये अनुसुचीत जाती के लोगो ने पुलिस की गाडिया जला दी और चौकी को आग लगा दी .
इसके बाद पुलिस और प्रशासन मीडिया में इस तरह की गलत बयानबाजी कर रहा है की सारी फसाद की जड़ भीम आर्मी है
कमाल की बाते देखो :
१. पुलिस प्रशासन यानी एस एस पी दुबे और डी एम् नरेंदर सिंह , जो ठाकुर है ने ठाकुरों को दंगा करने से नहीं रोका , पुलिस के होते हुए भी मौके पर पुलिस नहीं भेजी
२. दंगाई ठाकुरों के खिलाफ जिन्होंने निर्दोष बच्चे , बुजुर्गो को तलवारों से मारो उनके खिलाफ कार्यवाही नहीं की
३. जब भीम आर्मी ने इनके खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए पुलिस पर दबाव डाला तो इनके ही खिलाफ मुकदमा बना दिया
४. पुलिस कहती है की भीम आर्मी ने अपना ग्रेट चमार का बोर्ड लगा रखा है जिससे ठाकुरों को ऐतराज है .. तो कोई इनसे पूछे क्या बोर्ड लागना अपराध है ?? और इस बोर्ड से ठाकुरों को क्या जलन है ?? यानी हमेशा डरे , इनको सलाम ठोके तो सही वर्ना उपद्रवी ?? या इन लोगो के नाम से सब कुछ हो
५. इतनी घटना के बाद मीडिया ने सही ढंग से रिपोर्टिंग नहीं की
६. मीडिया पर सरकार ने दबाव डाला खबर न दिखाए
७. दंगाईओ के लिए प्रशासन की तरफ से हथियारों की सुविधा मिली
८. घायल चमारो को इलाज तक नहीं होने दिया जा रहा
अब कोई बताये क्या अपनी रक्षा करना अपने आत्म-सम्मान की रक्षा करना अपराध है ??
इन्ही ठाकुरों ने जब ये लोग बाबा साहेब की मूर्ति लगा रहे थे तो मूर्ति नहीं लगने दी इन लोगो ने सरेआम गुंडागर्दी की जब भी जातिवादी मानसिकता के पुलिस प्रशासन ने ठाकुरों की मदद की .
इन्ही अनुसुचीत जाती के लोगो को मुसलमानों से लड़वाने के लिए २० अप्रैल को कोशिस की कमाल की बात ये है जब इनको डर लगता है तब ये लोग अनुसुचीत जाती के लोगो को हिन्दू हिन्दू कहने लग जाते है . वर्ना इसके बाद इन्हें अछूत बना कर हमला करते है भेदभाव करते है . सहारनपुर उत्तर प्रदेश या गुजरात या अन्य स्थानों पर यह रोज होता है लेकिन तब कोई आगे नहीं आता
सहारनपुर में भीम आर्मी के लोगो ने जो किया यह बात पुरे देश के अनुसुचीत जाती समाज को काफी प्रेरित कर रही है , और लाखो करोडो लोग भीम आर्मी में जाना चाहते है . इनका मानना है की ये जातीय गुंडागर्दी रोकने में कामयाब होगा और पुरे देश में फैली अमानिविय प्रथाए खत्म होंगी.
नीला सलाम है भीम आर्मी को...