June 07, 2017

भारत में जन्मदिन मनाए जाने की परंपरा मौर्य शासकों ने प्रारंभ की : प्रो. राजेन्द्र प्रसाद सींह

अभी तक जो भी इतिहास ज्ञात हो सका है , भारत में जन्मदिन मनाए जाने की परंपरा मौर्य शासकों ने प्रारंभ की ।  भगवतशरण उपाध्याय स्ट्रेबो ( अमेसिया , 64 ई. पू. - 19 ई. ) को उद्धृत करते हुए लिखा है कि चंद्रगुप्त मौर्य अपना जन्मदिन प्रतिवर्ष बड़े पर्व के रूप में धूमधाम से मनाया करता था । ( वृहतर भारत पृ . 35 -36 )


सम्राट अशोक भी ऐसा अपना वार्षिक जन्मोत्सव मनाया करता था तथा इतिहासकारों ने संकेत किया है कि ऐसे ही वार्षिकोत्सव के दिन वह साल में एक बार कैदियों को मुक्त करने की प्रथा प्रारंभ की । ( प्राचीन भारत का राजनीतिक एवं सांस्कृतिक इतिहास , पृ. 321 )

सम्राट अशोक को अष्टमी के दिन से विशेष लगाव था , ऐसा संकेत मिलते हैं । उसने प्रत्येक पक्ष की अष्टमी के दिन बैल , बकरा , भेड़ा , सुअर और इसी तरह के दूसरे जीवों को नहीं दागने का आदेश का जारी किया था । ( पाटलिपुत्र की कथा , पृ. 152 )

पाटलिपुत्र के जिस वार्षिकोत्सव का जिक्र बड़े गर्व के साथ चीनी यात्री फाहियान (399 - 411 ई. ) ने किया है , वह चैत्र शुक्ल अष्टमी के दिन मनाया जाता था । फाहियान ने लिखा है कि बीस बड़े और सुसज्जित रथों वाले विशाल जलूस प्रत्येक साल निकाले जाते हैं और दूसरे महीने की आठवीं तिथि को इन्हें शहर में घुमाया जाता है । ऐसे जलूस और शहरों में भी निकाले जाते हैं । ( प्राचीन भारत का इतिहास , बी. डी. महाजन , पृ. 463 )

कई इतिहासकारों ने फाहियान द्वारा उद्धृत वार्षिकोत्सव की तिथि को समझने में भूल की है ।वे आज के हिंदी कैलेंडर की माह - गणना - प्रणाली के मद्देनजर वैशाख मान लिए हैं । कारण कि आज की तारीख में वैशाख ही हिंदी कैलेंडर का दूसरा महीना है ।

मगर फाहियान आज से कोई 1600 साल पहले गुप्तकाल में भारत आया था और उस समय में साल का प्रथम माह फाल्गुन था । आप कैलेंडर सुधार समिति ( 1955 ई. ) की रिपोर्ट जाँच लें , जिसमें लिखा है कि जो उत्सव 1400 वर्ष पहले जिन ऋतुओं में मनाए जाते थे , वे 23 दिन पीछे हट चुके हैं । वर्तमान में वसंत संपात चैत्र में होता है । इसलिए चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को वर्ष का प्रथम दिन मनाया जाता है। वसंत संपात प्रतिवर्ष 20 मिनट 24. 58 सैंकेंड पहले हो जाता है । इसलिए फाहियान के समय में संवत्सर का प्रथम माह फाल्गुन था और साल का दूसरा महीना चैत्र था ।

इसलिए फाहियान ने जिस वार्षिकोत्सव का अपने यात्रा - विवरण में जिक्र किया है , वह चैत्र शुक्ल अष्टमी को मनाया जानेवाला अशोकाष्टमी है । अशोकाष्टमी का विस्तृत विवरण हमें कृत्यरत्नावली , कूर्मपुराण तथा व्रत परिचय में मिलता है । ( पुराणकोश , पृ. 36 )

मगर पौराणिक संदर्भों की अशोकाष्टमी में अशोक वृक्ष का महत्व स्थापित है । अब आप अशोक वृक्ष और सम्राट अशोक के बीच संबंध की जाँच के लिए बौद्ध ग्रंथ दिव्यावदान का अध्ययन करें , जिसमें लिखा है कि नामसाम्य के कारण सम्राट अशोक को अशोक वृक्ष बहुत प्रिय था या हजारी प्रसाद द्विवेदी की उस चंवरधारणी यक्षिणी को याद करें जो मथुरा संग्रहालय में अशोक वृक्ष का पौधा लिए खड़ी है ।

ऐसे में साबित होता है कि चैत शुक्लाष्टमी को मनाया जानेवाला वार्षिकोत्सव अशोकाष्टमी मूलतः सम्राट अशोक का जन्मदिन है , जिसमें पुराणकारों ने सावधानीपूर्वक सम्राट अशोक को विस्थापित करके सिर्फ अशोक वृक्ष को जोड़ लिया है ।
- राजेन्द्र प्रसाद सींह




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वामपंथी लोग (साम्यवादी) पुजा पाठ मे विश्वास नही करते ये भ्रम की बात है,जो फ़ोटो में दिख रहा है, वही सत्य है.

वामपंथी आलोचक प्रोफ़ेसर मैनेजर पांडे की यह सरलता और साफ़गोई प्रशंसा योग्य है। मैं नमन करता हूँ।
भागवत पाठ या सत्यनारायण कथा में हिस्सा लेने में दिक़्क़त क्या है। यह तो आस्था का मामला है। संविधान हर किसी को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है।
प्रगतिशीलता का नाटक करने वालों की तुलना में ये बेहतर लोग हैं।
मैनेजर पांडे ने खुलकर अपने लोगों को आगे बढ़ाया। सेट किया। रोहित वेमुला को दंडित करने वाला हैदराबाद का प्रोफ़ेसर आलोक पांडे उनका ही शिष्य है।
आदमी को इतना ही सीधा और सरल होना चाहिए। खुलकर काम करना चाहिए।
छुपकर काटने वालों से ये लोग बेहतर हैं।
मैं ग्रामीण जातिवाद को शहरी जातिवाद से बेहतर विरोधी मानता हूँ क्योंकि ग्रामीण जातिवाद आसानी से पहचाना जा सकता है।
- दिलीप सी मंडल 


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ABP चैनल के जिस रिपोर्टर ने बिहार के टॉपर गणेश राम का जनरल नॉलेज चेक किया उसका अपना जनरल नॉलेज और सामाजिक समझ देखिए।


उस दिमाग़ की जटिलताओं और उसमें भरे ज़हर का अंदाज़ा लगाइए, जो एक SC टॉपर का इंटरव्यू करने के लिए जाता है तो डायरी में 40 सवाल लेकर जाता है। जो हिंदी मीडियम के स्टूडेंट से साइकियाट्री की स्पेलिंग पूछता है।
अगर समाज के बारे में आपके ऐसे ज़हरीले विचार हैं तो आप फणीश्वरनाथ रेणु तो कवि बताकर भी राष्ट्रीय हिंदी न्यूज चैनलों में नौकरी पा सकते हैं।



गणेश के स्कूल का मालिक बीजेपी का नेता है। और प्रिंसिपल उस नेता का बेटा। दोनों फ़रार हैं। पुलिस छापे मार रही है।

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નિષ્ફળતાઓ મળે છતાં અવસર પર અવસર

નિષ્ફળતાઓ મળે છતાં અવસર પર અવસર, તક પર તક મળ્યાં કરે તો પ્રતિભા ખીલે છે.
તમારામાંથી લગભગ લોકોએ અભ્યાસકાળ દરમ્યાન વરદરાજ નામના મુર્ખ વિદ્યાર્થીની
કથા સાંભળી અથવા ભણ્યાં હશો તે કથામાં એક પંક્તિ આવે છે.


करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान ।रसरी आवत-जात के, सिल पर परत निशान ।।




સરળાર્થ: સતત અભ્યાસ (એક જ પ્રકારનુ કામ) કરવાથી, જડ એટલે કે મુર્ખ માણસ પણ
ચતુર કે પ્રવીણ થઇ જાય છે. કૂવાનું થાળું પત્થરનું હોવા છતાં રોજે રોજ રસ્સીથી પાણી
સિંચતા ઘસાતું જાય છે અને પત્થર પર લિસોટા પડે છે.
વરદરાજ.. મંત્રો ગોખી ગોખી પંડિત વરદરાજ બન્યો!
અવસર પર અવસર મળતાં..રાહુલ ગાંધી પ્રધાનમંત્રી બનશે. અભિષેક દોડશે. ઋત્વિક સદાકાળ રોશન રહેશે
અમિતાભ, સચિન, કપૂરો, મંગેશકરો તમે ગમે તે ક્ષેત્રમાં લીસ્ટ બનાવો..
જેને અવસર મળવા જોઇએ નથી મળ્યાં ઉલ્ટાનાં બદનામ કરાયા છે!
- વિજયમકવાણા


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क्या प्रधानमंत्री जी विदेश घूम कर आते है तो बिल आपको देते है ?

कुछ लोग कई दिनों से सोसिअल मीडिया पे ऐसी कई तस्वीरें फैला रहे है जिसमे दिखाया जाता है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन जी ने और प्रधानमंत्री मोदी जी ने विदेश प्रवास पे कितना खर्च किया !


मैने RTI की तो जानकारी मिली कि प्रधानमंत्री जी के खर्च की जानकारी नही दे पाएंगे !


तो ऐसे फरेबी लोगों से में जानना चाहता हु की क्या प्रधानमंत्री जी विदेश घूम कर आते है तो बिल आपको देते है ? अगर किसी भक्त के पास सही जानकारी है तो हमे भी साझा कीजियेगा तो सच क्या है पता चले और आम जनता सच्चाई जान पाए !

- संजय पटेल

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