By Raju Solanki || Written on 6 July 2018
संगठन नारों से नहीं चलता, मगर नारे संगठन की पहेचान होते हैं. दलित पेंथर्स की 1973 में सबसे पहली रैली के नारों के बारे में जे. वी. पवार उनकी किताब Dalit Panthers: An Authoritative History में लिखते हैं कि, “हमने स्टान्डर्डाइझ्ड स्लोगन्स का निर्णय लिया. कारण यह था कि हमारे कुछ साथी उनको जो नारे अच्छे लगते थे उसे बोलते थे. उनमें से कुछ अशिष्ट (indecent) भी होते थे.” भायखल्ला मार्केट के पास एक होटल में बैठकर जे. वी. और महातेकर ने रैली के लिए स्लोगन्स लिखे.
स्लोगन कुल मिलाकर उन्नीस थे. आप यह पढकर खुद तय किजीए कि आज के आंदोलनों में क्या ऐसे कोई स्लोगन बोले जाते हैं?
1. दलित पैंथर झींदाबाद,
2. क्रान्तिबा फूल्याचा विजय असो,
3. आनु आनु समतेचे राज्य आनु,
4. डो. बाबासाहेब आंबेडकर विजय असो,
5. दलितांची सत्ता, जनतेची सत्ता,
6. गाडु गाडु, हिन्दुत्व गाडु (हम हिन्दुत्व की विचारधारा को दफना देंगे)
7. हम उस देश के दुश्मन है, जहां नारी की इज्जत खतरे में हैं.
8. बोल दलिता, हल्ला बोल
9. लानी है, लानी है, हमें आझादी लानी है,
10. इस देश का क्या है नाम? भारत या हिन्दुस्तान?
11. आमदार, खासदार, जमीनदारों की औलाद (धारासभ्य, सांसद जमीनदारों की औलाद है)
12. उन्हें देश बेचना है, हमें देश बचाना है,
13. गोलीला दलित, पोलिला भट्ट (दलित को गोली, ब्राह्मण को पुरणपोळी)
14. जीथे गडतो एर्नागांव बावडा, त्या देशच्या छातीत रावडा (जिस देश में एर्नागांव बावडा जैसी घटना होती है, उस देश की छाती में आग लगती है)
15. जो देश को तोडते है, उस महात्मा कहते है
16. नई रोशनी लाई है, देश में आग लगाई है. (इन्दिरा गांधी के बारे में)
17. उठ दलिता भूखा कंगाल, बंदूकीला हाथ झाल,
18. दलित गुलाम देश गुलाम, दलित स्वतंत्र देश स्वतंत्र,
19. अबाउट टर्न, अबाउट टर्न, महार बटालीयन अबाउट टर्न (पुलीस ने इस स्लोगन का कडा विरोध किया था, कहेते थे यह स्लोगन राजद्रोह है.)
संगठन नारों से नहीं चलता, मगर नारे संगठन की पहेचान होते हैं. दलित पेंथर्स की 1973 में सबसे पहली रैली के नारों के बारे में जे. वी. पवार उनकी किताब Dalit Panthers: An Authoritative History में लिखते हैं कि, “हमने स्टान्डर्डाइझ्ड स्लोगन्स का निर्णय लिया. कारण यह था कि हमारे कुछ साथी उनको जो नारे अच्छे लगते थे उसे बोलते थे. उनमें से कुछ अशिष्ट (indecent) भी होते थे.” भायखल्ला मार्केट के पास एक होटल में बैठकर जे. वी. और महातेकर ने रैली के लिए स्लोगन्स लिखे.
स्लोगन कुल मिलाकर उन्नीस थे. आप यह पढकर खुद तय किजीए कि आज के आंदोलनों में क्या ऐसे कोई स्लोगन बोले जाते हैं?
1. दलित पैंथर झींदाबाद,
2. क्रान्तिबा फूल्याचा विजय असो,
3. आनु आनु समतेचे राज्य आनु,
4. डो. बाबासाहेब आंबेडकर विजय असो,
5. दलितांची सत्ता, जनतेची सत्ता,
6. गाडु गाडु, हिन्दुत्व गाडु (हम हिन्दुत्व की विचारधारा को दफना देंगे)
7. हम उस देश के दुश्मन है, जहां नारी की इज्जत खतरे में हैं.
8. बोल दलिता, हल्ला बोल
9. लानी है, लानी है, हमें आझादी लानी है,
10. इस देश का क्या है नाम? भारत या हिन्दुस्तान?
11. आमदार, खासदार, जमीनदारों की औलाद (धारासभ्य, सांसद जमीनदारों की औलाद है)
12. उन्हें देश बेचना है, हमें देश बचाना है,
13. गोलीला दलित, पोलिला भट्ट (दलित को गोली, ब्राह्मण को पुरणपोळी)
14. जीथे गडतो एर्नागांव बावडा, त्या देशच्या छातीत रावडा (जिस देश में एर्नागांव बावडा जैसी घटना होती है, उस देश की छाती में आग लगती है)
15. जो देश को तोडते है, उस महात्मा कहते है
16. नई रोशनी लाई है, देश में आग लगाई है. (इन्दिरा गांधी के बारे में)
17. उठ दलिता भूखा कंगाल, बंदूकीला हाथ झाल,
18. दलित गुलाम देश गुलाम, दलित स्वतंत्र देश स्वतंत्र,
19. अबाउट टर्न, अबाउट टर्न, महार बटालीयन अबाउट टर्न (पुलीस ने इस स्लोगन का कडा विरोध किया था, कहेते थे यह स्लोगन राजद्रोह है.)
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