मैं मुक्तिदाता
आंबेडकर को नमन करता हूं.
करता हूं सलाम
उनके पथ के राहगीरो को,
वे लोग जो जुडे है
क्रांति के दुर्गम पथ पर
उनको मेरा प्रणाम है.
मैं जानता हूं
उनके पथ पर बाधाए बहूत है.
मुझे यह ज्ञात है
चट्टाने तोडकर राजमार्ग
बनाना कठिन बहूत है.
फिर भी जो लगे है
जीवन के स्तर को उठाने में
अपने लोगों में आत्मगौरव जगाने में
जागरण की मशालें लेकर
जो साथी दौड रहे है
उनको मैं प्रणाम करता हूं.
मुझे गर्व है
उन लोगो पर जिन्होने
ईस क्रांतिरथ की धुरा पकडी है.
और शपथ ली है
कि जब तक मनुष्य को
मनुष्य होने गौरव नही मिलेगा
अंतिम सांस तक लडेंगे.
आओ
हम मिलकर उनके साथ प्रतिज्ञा लेते है
कि ईस क्रांति पथ पर
लहू की आखरी बूंद रहेगी तब तक...
सब कुछ न्योछावर करके
मनुष्यता के लिए
समानता के लिए
आज़ादी के लिए
लडते रहेंगे लडते रहेंगे..
आंबेडकर को नमन करता हूं.
करता हूं सलाम
उनके पथ के राहगीरो को,
वे लोग जो जुडे है
क्रांति के दुर्गम पथ पर
उनको मेरा प्रणाम है.
मैं जानता हूं
उनके पथ पर बाधाए बहूत है.
मुझे यह ज्ञात है
चट्टाने तोडकर राजमार्ग
बनाना कठिन बहूत है.
फिर भी जो लगे है
जीवन के स्तर को उठाने में
अपने लोगों में आत्मगौरव जगाने में
जागरण की मशालें लेकर
जो साथी दौड रहे है
उनको मैं प्रणाम करता हूं.
मुझे गर्व है
उन लोगो पर जिन्होने
ईस क्रांतिरथ की धुरा पकडी है.
और शपथ ली है
कि जब तक मनुष्य को
मनुष्य होने गौरव नही मिलेगा
अंतिम सांस तक लडेंगे.
आओ
हम मिलकर उनके साथ प्रतिज्ञा लेते है
कि ईस क्रांति पथ पर
लहू की आखरी बूंद रहेगी तब तक...
सब कुछ न्योछावर करके
मनुष्यता के लिए
समानता के लिए
आज़ादी के लिए
लडते रहेंगे लडते रहेंगे..
-विजय मकवाणा
Facebook Post :-
No comments:
Post a Comment