May 07, 2017

आज के ट्वीटर ट्रेंड के जरीये SC ST और OBC के तरफ की नफरत का परीचय दे दीया इन लोगो ने

टोप ट्वीटर ट्रेंड #आरक्षण_एक_रोग के जरीये  @SirGautamGambir ट्वीटर हेंडल वाले भाइ साहबने ट्वीट कर के टीना डाबी को मीले आरक्षण के लाभ को लेकर नीशाना साधा और बहोत हीट हो गये भाइ साहब. मै थोडा ज्यादा हीट कर देता हु उनको.


ये भाइ साहब लोगो को प्रीलीम्स का रीजल्ट दीखा कर भ्रमीत करना चाह रहे थे. टीना डाबी ने हर एक केटेगरी मे टोप कीया था मईन्स मे. 

और प्रीलीम्स के मार्क्स काउंट नही होते है उस मे वह सीर्फ प्रवेश द्वार है. उन का कहना था की टीना डाबी के माता पीता दोनो हाईली प्लेस्ड थे इस लीये उन्को आरक्षण ना मीलना चाहीये. 

अर उनको नही पता है की टीना डाबी अपने योग्यता के दम पर ही आगे आई है. अपनी जाती के वजह से इस देश मे 80% भी ज्यादा लोग परेशान कीये जा रहे है तो इस मे टीना डाबी भी अछुती नही है.

टीना डाबी वाली बात जब से टीना डाबी टोपर बनी है तब से फैलाई जा रही है. उस बात का पुरा सच जाने बीना आरक्षण के विरोधी लोग शेर करते जा रहे है. और नफरत फैला रहे है.

उन की ये बात की पोल खोल रही पोस्ट को अब जरा ध्यान से पढीये और शेअर जरुर करे.


सब से पहले  IPS अधिकारी मेरिन जोसफ़ के एक फेक प्रोफाईल के द्वारा ऐसी पोस्ट रखी गई आइ ए एस का रीजल्ट डीकलेर होने के बाद जीसमे टीना डाबी को टोपर करार दीया गया था.

तस्वीर के मुताबिक़, ‘Reservation A Curse’ यानी ‘आरक्षण एक अभिशाप’ शीर्षक के साथ IPS अधिकारी मेरिन जोसफ़ ने IAS टॉपर टीना डाबी और आरक्षण की वजह से इस परीक्षा को पास नहीं कर पाने वाले अंकित श्रीवास्तव की मार्कशीट की तुलना दिखाते हुए कहा है, ‘General category student scored 230 marks and declared disqualified. His journey stopped there.

In second scenario, a SC category student scores just 195 marks and declared not just qualified in UPSC 2015 preliminary exam but she topped the exam at the end…Jai Ho!’ 


यानी ‘सामान्य वर्ग के स्टूडेंट ने 230 अंक हासिल किए और उसे अयोग्य घोषित कर दिया गया. उसकी यात्रा वहीं ख़त्म. दूसरी तरफ़, एक शेड्यूल्ड कास्ट कैटगरी की स्टूडेंट सिर्फ़ 195 अंक लाती है और न सिर्फ़ यूपीएसी 2015 के लिए योग्य घोषित की जाती है बल्कि अंत में परीक्षा में टॉप कर जाती है…जय हो!’




सच ये है कि ये पोस्ट मेरिन जोसफ़ के नाम से बनाई गई एक फ़ेक प्रोफ़ाइल से 
डाला गया है. मेरिन ने इस मामले में कभी कुछ नहीं कहा. उन्होंने ख़ुद अपनी 
असली प्रोफ़ाइल से इसकी पुष्टि की है वो आप इस स्क्रीनशोट मे देख सकते है. 


 इसमें उन्होंने कहा, ‘मेरिन जोसफ़ IPS नाम के एक पेज पर भारत में आरक्षण व्यवस्था को लेकर कुछ पोस्ट किया गया है. मैं बता दूँ कि इस पेज से मेरा कोई लेना-देना नहीं है. मैंने पहले भी ये कहा है और फिर कहती हूँ, ये मेरी असली प्रोफ़ाइल है. मैं अपने नाम से कोई पेज नहीं चलाती. जो लोग उस पोस्ट को ये सोचकर शेयर कर रहे या उस पर कॉमेंट कर रहे हैं कि ऐसा मैं कह रही हूँ, तो आप बेवक़ूफ़ बन रहे हैं. या तो किसी चीज़ पर यक़ीन करने से पहले उसकी सच्चाई के प्रति सावधान रहें, या ऐसी किसी भी चीज़ (पोस्ट) को शेयर करने से बचें जिससे किसी की बदनामी होती हो.


साथ ही मे  टीना डाबी के नाम से भी कई नक़ली प्रोफ़ाइल्स के ज़रिए कहा गया था कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसक हैं. पोस्ट के मुताबिक़, उन्होंने आरक्षण को लेकर नकारात्मक बयान दिए थे.




इस नक़ली पोस्ट में टीना के हवाले से दावा किया गया कि पीएम मोदी उन्हें ‘प्रेरित’ करते हैं और चूँकि वो एससी कैटगरी से आती हैं, इसलिए उनपर आंबेडकर को अपना आदर्श मानने के लिए ‘दबाव’ बनाया जाता है. मेरिन जोसफ़ की तरह उन्होंने भी अपने असली प्रोफ़ाइल से इसका जवाब दिया था.



उन्होंने कहा था, ‘मेरे जानने में आया है कि कुछ असामाजिक तत्व मेरे नाम से क़रीब 35 नक़ली प्रोफ़ाइल और पेज बनाकर आपत्तिजनक बातें पोस्ट कर रहे हैं. मैं साफ़ कर दूँ कि इनमें से कोई भी बयान मेरा नहीं है. यह काफ़ी तकलीफ़देह है कि कुछ लोग एक मेहनती लड़की को शांति से रहने भी नहीं दे सकते. मैं सभी से प्रार्थना करती हूँ कि ऐसे नक़ली प्रोफ़ाइल और पेज की रिपोर्ट करें क्योंकि उनका मक़सद सिर्फ़ मेरी छवि को नुक़सान पहुँचाना है. सभी का शुक्रिया.


टीना डाबी की बातों की सच्चाई और उनके टॉप करने को लेकर मेरिन जोसफ़ के नाम पर फैलाए गए झूठे पोस्ट की हक़ीक़त तो हमने आपको बता दी. अब बात करते हैं अंकित श्रीवास्तव की, जिन्हें लगता है कि टीना डाबी से ज़्यादा अंक लाकर भी UPSC परीक्षा में आगे सिर्फ़ इसलिए नहीं जा सके, क्योंकि उनकी योग्यता के आड़े आरक्षण आ गया. तस्वीर देखें और उसमें जो लिखा है, कृपया उसे ग़ौर से पढ़ें भी, क्योंकि हम अंकित के दावे ग़लत साबित करने जा रहे हैं.

अंकित के इस दावे के बाद आरक्षण विरोधियों ने टीना डाबी और आरक्षण को घेर लिया. अंकित ने जो कहा, उसे अंतिम सच मानकर लोगों ने अंधाधुंध शेयर करना
शुरू कर दिया. बाद में फ़ेसबुक ने कथित रूप से इस पोस्ट को इस आधार पर हटा
दिया कि ये उसके कम्युनिटी स्टैंडर्ड को फ़ॉलो नहीं करता. लेकिन तबतक सोशल
मीडिया अपना कमाल कर चुका था. अंकित के पोस्ट का स्क्रीनशॉट फ़ेसबुक पर


किसी वायरस की तरह फैलता चला गया. लोग उन्हें असली IAS टॉपर मानने लगे और टीना डाबी के दलित होने की वजह से टॉपर बनने के लिए आरक्षण को कोसने लगे.


यह देखते हुए अंकित ने अगले दिन ये पोस्ट किया, देखें,




लोगों की प्रतिक्रियाओं को देखते हुए अंकित ने इस पोस्ट में कहा, ‘UPSC परिणामों पर किए गए मेरे पिछले पोस्ट के बाद मुझे कई लोगों ने फ़ोन और मेसेस किए. इसलिए मैंने सोचा कि तथ्यों को लेकर किसी भी तरह की ग़लतफ़हमी को दूर करने के लिए ज़रूर लिखूँ. मैंने कभी दावा नहीं किया कि मैं असली UPSC टॉपर हूँ, और जो अंक दिखाए गए, वो प्री स्टेज (यानी मेन एग्ज़ाम से पहले के प्रीलिमिनरी टेस्ट) के हैं. मुझे लगा कि पिछले पोस्ट में ये स्पष्ट था, लेकिन मुझे शक है कि कई लोग अंतिम परिणामों को लेकर भ्रम में हैं.’ वह आगे कहते हैं, ‘मैं फिर से साफ़ कर दूँ कि मेरा इरादा ख़ुद को किसी से बेहतर और टॉपर बताना नहीं था. मेरा इरादा केवल ये बताना था कि जाति के आधार पर आरक्षण कैसे हम जैसे लोगों को प्रभावित करता है.


सच ये है कि अंकित आरक्षण की वजह से नहीं, बल्कि मेन एग्ज़ाम और इंटरव्यू देने के लिए ज़रूरी प्रीलिमिनरी एग्ज़ाम (यानी प्रारंभिक परीक्षा) में सामान्य वर्ग की ही स्टैंडर्ड मार्किंग में ही पिछड़ने की वजह से आगे नहीं जा सके. जिन लोगों ने उतने अंक हासिल किए, वे आगे निकल गए, जो नहीं कर सके वे रह गए. टीना डाबी ने एससी वर्ग के स्टैंडर्ड मार्क्स के मुताबिक़ स्कोर किया, इसलिए मेन एग्ज़ाम और उसे भी पास कर इंटरव्यू के लिए उनका सिलेक्शन हुआ. अभी कुछ और तकनीकी बातें हैं, जो आपको अंकित ने नहीं बताईं. वे सब हम आपको बताएंगे, पहले देखें कि UPSC परीक्षा 2015 में प्रारंभिक परीक्षा के लिए स्टैंडर्ड मार्क्स क्या थे...


UPSC 2015 के लिए सामान्य वर्ग के लिए स्टैंडर्ड मार्किंग 107.34 है, और अनुसूचित जाति (जिसमें टीना आती हैं) के लिए 94.


अब ग़ौर से पढ़ें और समझें, मेन एग्ज़ाम और इंटरव्यू स्टेज तक जाने के लिए 2 बार प्रीलिमिनरी एग्ज़ाम देना होता है. अब अंकित ने जो मार्कशीट शेयर की, उसे देखिए.

पेपर 1 में अंकित ने 103.34 अंक हासिल किए जोकि सामान्य वर्ग के स्टैंडर्ड मार्क्स से ही कम हैं, जबकि टीना ने पेपर 1 में 96.66 हासिल किए जोकि एससी कैटगरी के स्टैंडर्ड मार्क्स से ज़्यादा हैं. उन्होंने पेपर 2 में भी अच्छा प्रदर्शन किया और उसे 98.73 अंकों से पास किया. हाँ, अंकित ने भी पेपर 2 में 127.42 अंक हासिल किए, लेकिन पेपर 1 में ही पिछड़ जाने की वजह से इन नंबरों की अहमियत ख़त्म हो गई, क्यों? 



दरअसल साल 2015 में भारत सरकार ने सिविल सेवा परीक्षा में बदलाव करते हुए ऐलान किया कि मेन एग्ज़ाम और इंटरव्यू की योग्यता के लिए दिए जाने वाले दोनों प्रीलिमिनरी पेपर्स में से पेपर 1 को क्वॉलिफ़ाई करना अनिवार्य होगा. जबकि पेपर 2 में कम से कम 33 प्रतिशत मार्क्स लाने ज़रूरी होंगे और ये अंक क्वॉलिफ़ाई करने के लिए नहीं गिने जाएंगे. यानी आप चाहें पेपर 2 में 100 में से 100 ले आएँ, लेकिन अगर पेपर 1 में पास नहीं हैं तो मेन एग्ज़ाम के लिए क्वॉलिफ़ाई नहीं कर सकते.

अब आप इस बहुप्रतिष्ठित परीक्षा की इन तकनीकी बातों और अंकित के दावे और उनकी मार्कशीट पर विश्लेषण करके देखें तो पाएंगे कि अंकित की असफलता के लिए आरक्षण कहीं भी ज़िम्मेदार नहीं है. इस पूरे प्रोसेस में आरक्षण हो या न हो, अंकित अगली स्टेज पर जा ही नहीं सकते थे क्योंकि पेपर 1 में मिले उनके अंक ही इसके लिए पर्याप्त नहीं थे.


अब बात अंकित के टीना से 35 अंक ज़्यादा लाने की. ऊपर जो कुछ हमने बताया उस पर थोड़ा और ग़ौर करें तो मालूम चलेगा कि ये दावा भी खोखला है. एक तो इसलिए, क्योंकि टीना ने जहाँ दोनों प्रीलिमिनरी परीक्षा पास कीं, वहीं अंकित पेपर 1 में असफल होकर वैसे ही अगली स्टेज के लिए अयोग्य हो गए, तो फिर दोनों की नंबरों में तुलना ही तर्कसंगत नहीं है. फिर भी, अंकित की बात को ताबड़तोड़ शेयर कर रहे लोगों के लिए हम ऐसा करें भी, तो भी पाते हैं कि अंकित ने टीना से 35 नहीं बल्कि सिर्फ़ 6 अंक ही ज़्यादा हासिल किए, क्योंकि मेन एग्ज़ाम के लिए पेपर 1 पास करना ज़रूरी है, उसमें असफल होने की सूरत में तो पेपर 2 की अहमियत तो यूँ ही ख़त्म हो जाती है.


ये तकनीकी बातें थोड़ी देर के लिए एक तरफ़ हटा दीजिए, अंकित के दावे को धड़ल्ले से शेयर करने वाले अगर ये भी सोच भर लें कि एससी कैटगरी की मार्किंग भला जनरल कैटगरी की मार्किंग को कैसे प्रभावित कर सकती है, तो समझेंगे कि शायद आरक्षण के प्रति उनकी घृणा भर ने उनसे टीना डाबी की योग्यता पर आधारहीन सवाल खड़ा करवा दिया.



पर ये लोग ये सब जानते है सीर्फ भ्रम फैला कर अपना उल्लु सीधा करना इनका काम है और कुछ नही. बहोत शातीर दीमागी लोग कौन है ये आप को अगर प्रश्न हो रहा है तो आप को इस पोस्ट मे टीना डाबी के फेक प्रोफाइल के द्वारा लीये गये नाम को याद करना चाहीये. ये नाम अगर आप को याद नही आ रहा तो फीर से इस पोस्ट में वह हीस्सा पढ लीजीये आप को समज मे आ जायेगा कौन है इन सब के पिछे. 

ऐसे कई सारे हमलो के जवाब देना अब सीखना होगा वरना हमारे लोग भी इसी भ्रमीत बातो मे आ जायेगे और सत्य नही जान पायेगे. 

जीतना हो सके ईस पेज को शेअर कीजीये ताकी लोगो तक सच्ची बात पहुंच सके.

- विशाल सोनारा






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