आज हमारे भारत देश में लोकतंत्र चल रहा है. केन्द्र सरकार, राज्य सरकारो और स्थानीय सरकारो के तीनो स्तर पर वोट का राज्य है. राजनीतिक पदों पर सभी लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव लडकर ही जाते हैं.
मूलनिवासियो को लोकतंत्र में सभी के समान समान मत का अधिकार प्राप्त है. वे अपने मत का उपयोग भी कर रहे हैं, हालांकि इन्हे इसके लिए कभी-कभी लाठी और बंदूक का सामना करना पड़ता है. लेकिन मूलनिवासियो को इससे अधिक के लिए तैयार रहना है, अभी मत देने के लिए लाठी-बंदूक का पृहार सहना पड़ता है. परन्तु यदि मत के बिना सीधे लाठी-बंदूक का पृहार होने लगे, तब क्या किया जाएगा ?
विरोधी वर्ग वोट के अधिकार को तभी तक माना करता है, जब तक वह इस माध्यम से चुनाव जीतता रहता है. जब उसे लगने लगेगा कि वह इस माध्यम से चुनाव नही जित रहा है, तो वह लोकतंत्र के रास्ते को त्यागकर सत्ता पाने के लिए अन्य तरीके अपनाएगा. तब वह जनता के सामने शासक पृणाली के नये-नये पृस्ताव रखेगा. उसकी बात नही बनेगी ,तो वह कपट से सत्ता को हथियाना चाहेगा. ऐसे मे वह वर्ग कुछ भी गलत-सलत कर सकता है.
अतः मूलनिवासी भी अपनी सत्ता पाने के लिए तैयारी करे, और बहुजन नायक मान्यवर साहब कांशीराम की कही हुइ एक बात को हमेशा ज़हन में रखे की, "भले ही हमें राज पाठ बैलेट से लेना है, लेकिन तयारी हमे बुलेट की भी रखनी होगी.."
-- महेश लालपुरा
No comments:
Post a Comment