May 07, 2017

देश बदल रहा है ? -संजय पटेल


में बहोत खुश था, मुझे भी सरकार की आरक्षण की सुविधा से सीट मिल गई थी !

एक सरकारी अफसर सुचना दे रहे थे की 43 तक रिजर्वेशन (आरक्षण) है।
52 सीटो में से 43 रिजर्वेशन मतलब 82.69% रिजर्वेशन फिर भी सभी पढ़े लिखे बहोत खुश थे।

2-4 पुराने ख्यालवाले लोग और चहेरे से 3-4 गंवार जैसे दिख रहे लोग, जिसे सीट नहीं मिली थी वो लोगों के चहरे से पता चल रहा था कि शायद सिस्टम से या फिर अपने आप से नाराज थे।

मैंने भी रिजर्वेशन का फायदा लिया था और मुझे 41 नंबर पे मौका मिल गया था, अगर थोड़े समय पहले मैंने रिजर्वेशन का ट्राय किया होता तो मुझे मेरी पसंद की सीट मिल जाती फिर भी में बहोत खुश हुआ की रिजर्वेशन की फैसिलिटी बढ़िया है ।

मेरे आगे-पीछे नंबरवालो को मैंने पूछा की आप भी रिजर्वेशन में हो तो बड़े गर्व के साथ हां बोले !

बचपन से अपनी तो कोई भी नई चीज या सिस्टम में जिज्ञासा ज्यादा रही है तो अगल-बगल वालो से पूछ भी लिया की ये रिजर्वेशन फैसिलिटी कैसी है ?
तो सबने बहोत अच्छी फैसिलिटी कहा और बोले की यह रिजर्वेशन फैसिलिटी से लग रहा है कि देश आज सही में विकास कर रहा है। रिजर्वेशन यह नई टेक्नोलॉजी है। पढ़े-लिखे लोग इस फैसिलिटी का ज्यादा इस्तेमाल करते है और अच्छी सुविधा है, अगर सही में देश में विकास करना हो तो यह आरक्षण की सुविधा होनी ही चाहिए, जैसे जवाब मिले।

2-4 लोग जिसे सीट नहीं मिली थी उनको मैंने पूछा की आपको नहीं लग रहा की यह आरक्षण (रिजर्वेशन) से आपके साथ अन्याय हो रहा है ?
तो उन्होंने कहा कि नही भाई, इसमें कैसा अन्याय ? भाई, ये रिजर्वेशन वाले लोग ज्यादा होशियार है और अपने ज्ञान से और टेक्नोलॉजी का उपयोग करके उन्होंने सीट प्राप्त की है। हमने महेनत नहीं की तो हमें रिजर्वेशन नहीं मिला।

सभी लोग रिजर्वेशन फैसिलिटी को बहोत ही अच्छा सिस्टम और विकास की द्रष्टि से देख रहे थे और सब खुस थे।

यह पढ़कर चौंक गए ?
की भारत में भला कौन रिजर्वेशन फैसिलिटी से खुश होगा ! यह एक सपना है या एक कहानी है।
चोंकिये मत, यह बात सच है, आज सुबह का ही मेरा यह अनुभव है और यह बात पूर्णता सत्य है !

आज सुबह 6:00 बजे, स्टेट ट्रांसपोर्ट बस से सुरेन्द्रनगर से अहमदाबाद जाने को निकला हु।

गुजरात सरकार की बहोत अच्छी सुविधा है, बस में ऑनलाइन रिजर्वेशन करवा सकते है, मैंने भी कल रात को रिजर्वेशन करवाया था और सीट मिल गई थी।

आपको क्या लगा था कि सरकारी नोकरी में रिजर्वेशन की बात चल रही थी ?

अरे भाई, नौकरी वाले आरक्षण को तो यह सब गालियां देते है, वह उनको फैसिलिटी नहीं अन्याय लग रहा है, वह देश के विकास के रास्ते में पत्थर लगता है ! अगर उस आरक्षण (रिजर्वेशन) को भी यही बस के रिजर्वेशन के नजरिए देखते तो आज देश सही में विकास कर रहा होता। आज सही में देश आगे होता।

#देश_बदल_रहा_है

- संजय पटेल















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