August 26, 2017

बाबासाहब के प्रसिद्ध कथन "हमारी लड़ाई संपत्ति या सत्ता के लिए नही है..." का विश्लेषण..


"हमारी लड़ाई संपत्ति या सत्ता के लिए नही है.. हमारी लड़ाई स्वतंत्रता के लिए है, मानव व्यक्तित्व के अधिकारों के पुनर्मूल्यांकन के लिए है.."
- बाबासाहब डॉ भीमराव आम्बेडकर


राजनीति के विषय पर चर्चा करते वक्त किसी ने मुझे बाबासाहब का ये प्रख्यात उद्धवरण (कथन, quote) भेजा। ऐसा लगता है कि, वो आदमी समझता होगा कि, व्यक्तित्व का पुनर्मूल्यांकन शुन्यवकाश में होगा।

चलिए इस बयान का विश्लेषण करने का प्रयत्न करते है। व्यक्तित्व का पुनर्मूल्यांकन अंतिम उद्देश्य है। दमनकारी समुदाय कैसे अपने व्यक्तित्व को पुनः प्राप्त करे?? क्या उत्पीडनकार अनुमति देंगे?? अगर वे अनुमति देते, तो ये बहोत समय पहले ही हो चुका होता। पीड़ित लोगों पर दमन लगाया गया है। बाबासाहब ने माना था कि, अश्पृश्यता अश्पृश्यो की नही, सवर्णो की समस्या है। अश्पृश्यता उन पर थोपी गई है।
अगर किसी एक समुदाय पर कुछ थोपा गया है, तो अनुरोध करने से यह रोका नही जा सकता। वह सिर्फ शक्ति से ही रोका जा शकता है। अगर समुदाय के पास जमीन या संपत्ति नही है, वो दुसरो पर निर्भर है, तो फिर वो अपनी स्वायत्तता(Autonomy) का उपयोग नही कर शकता। इस आर्थिक शोषण को रोकने के लिए आपको सम्पति की आवश्यकता है।

बाबासाहब का यह कथन कहता है कि, यह समस्या सिर्फ सत्ता या शक्ति के माध्यम से हल नही होने वाली, इसके लिए सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों में और अधिक मूलभूत परिवर्तन आवश्यक है। लेकिन यह कथन ऐसा नही कहता कि, शक्ति और सम्पति की उपेक्षा करो। यह सिर्फ उसकी सिमा के बारे में बताता है। अपना सारा जीवन उन्होंने राजनीतिक और आर्थिक मुक्ति के लिए कार्य किया, उन्होंने समाज के मूल्यों में मौलिक सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन लाने के लिए बुद्धिसम में धर्मपरिवर्तन किया।

अगर किसी को इस संदर्भ में समझ नही आता है, तो व्यक्तित्व का पुनरूत्थान कुछ भी नही बल्कि एक अमूर्त विचार (Abstract Idea) है। वह सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, और सांस्कृतिक मूल्यों को एक आध्यात्मिक क्षेत्र मे परिवर्तित हो करता है, जिससे बाबासाहब ने अपने पूरे जीवन काल मे नफरत की। यह भगवान को ढूंढने जैसी बात है, लेकिन बाबासाहब भगवान की तलाश नही कर रहे थे। शरुवात से अंत तक वह एक समुदाय की तलाश में थे।

Note: Translation of Original Article by Loknath Kumar "Analyzing the Famous Quote of Babasaheb Ambedkar". I have tried my best to translate this into Hindi, however, there may be some differences, so for the better understanding on this topic, original article by the author in English is final.

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