By Jigar Shyamlan || 25 December 2017 at 01:35
पता नही क्या हो रहा है..??
पिछले पांच सात महीनो से देख रहा हुं, पहले जो लोग जय भीम बोल रहे थे, लिख रहे थे ,आज साथ में लाल सलाम लिखना और बोलना सीख रहे है। यह मेरा अनुभव है।
मैं पसँनली लाल सलाम का विरोधी नही हुं। पर मैने बाबा साहब को पढा है।
बाबा साहबने ईससे दुर रहने की नसिहत दी है। अब मै बाबा साहब से ज्यादा ज्ञानी तो हुं नही।
आंबेडकर मिशन में यह सलाम की एंट्री होने की वजह से हम जो रेसीपी बनाना चाह रहे थे वह अब बिगडती मालूम हो रही है।
नव युवान झांसे में आ रहे है। और बाबा साहब को पढे बिना लाल सलाम में शामिल हो रहे है।
मेरी उन सबसे नम्र अपिल है कि पहले बाबा साहब को पढ ले। यह सब करके क्या हम खूद को आनेवाले समय में जोकर बने हूये देखना चाहते है..??
हमे माक्सँ की क्या आवश्यकता है..??
क्या कोई लाल सलाम ने जातीवाद हटाने के लिये कभी कोई आंदोलन चलाया है..??
हमारी जंग जातीवाद से है पूंजीवाद से नही। हमारा मिशन जातीवाद मिटाना है, अमीरी मिटाना नही।
हमने सदीयो तक कष्ट झैले हमारी पिछडी जाती के कारण, हमारी गरीबी के कारण नही।
आज भी हमे मंदीरो मे जाने की अनूमति नही..
हम गांव में शादीओ में बैन्ड बाजा, बारात नही निकाल पाते,
आज भी शादीओ में हमारे लडको को घोडी पर नही चडने दीया जाता..
ईन सबका कारण क्या हमारी गरीबी है..??? नही.. कभी नही। ईसका कारण हमारी गरीबी नही परंतु समाज में सदीयो से फैला जातीवाद है।
हमारा मिशन हमारा अपना है। जो हमे हमारे ही बहूजन महा नायको ने दिया है। तथागत बुध्ध, ज्योतिबा फूले, शाहूजी महाराज, बाबा साहब आंबेडकर, रामास्वामी पेरियार.. यह हमारे नायक हो सकते है। काल माक्सँ या कोमरैड लाल सलाम बोलनेवाले लोग नही।
हमको आज 70 साल लग गये कान्ग्रेस को समझने में।
हमे और 70 साल लाल सलाम कम्युनिस्ट को समझने में खराब नही करने है।
हमे जय भीम, जय भारत, या जय भीम, नमो बुध्धाय पर ही डंटे रहना है। यह लाल सलाम हमारे मिशन को ईतना बिगाड देगा कि हम सोचते ही रह जायेगें।
अब वक्त हमारे हाथो में है। हमे यह तय करना है कि हमे किसको चूनना है। यदी हमने गलत लोगो का साथ दे दिया तो फिर आनेवाले 70 साल के बाद हम फिर वही राग अलापेंगे की ब्राह्मण बहुत चालाक है , फिर दगा कर गया !!!!
आनेवाले भविष्य में हमारी हालत पर ब्राह्मण को दोष देने से अच्छा यह है कि हम बाबा साहब को पढे और समझदार बने।
पता नही क्या हो रहा है..??
पिछले पांच सात महीनो से देख रहा हुं, पहले जो लोग जय भीम बोल रहे थे, लिख रहे थे ,आज साथ में लाल सलाम लिखना और बोलना सीख रहे है। यह मेरा अनुभव है।
मैं पसँनली लाल सलाम का विरोधी नही हुं। पर मैने बाबा साहब को पढा है।
बाबा साहबने ईससे दुर रहने की नसिहत दी है। अब मै बाबा साहब से ज्यादा ज्ञानी तो हुं नही।
आंबेडकर मिशन में यह सलाम की एंट्री होने की वजह से हम जो रेसीपी बनाना चाह रहे थे वह अब बिगडती मालूम हो रही है।
नव युवान झांसे में आ रहे है। और बाबा साहब को पढे बिना लाल सलाम में शामिल हो रहे है।
मेरी उन सबसे नम्र अपिल है कि पहले बाबा साहब को पढ ले। यह सब करके क्या हम खूद को आनेवाले समय में जोकर बने हूये देखना चाहते है..??
हमे माक्सँ की क्या आवश्यकता है..??
क्या कोई लाल सलाम ने जातीवाद हटाने के लिये कभी कोई आंदोलन चलाया है..??
हमारी जंग जातीवाद से है पूंजीवाद से नही। हमारा मिशन जातीवाद मिटाना है, अमीरी मिटाना नही।
हमने सदीयो तक कष्ट झैले हमारी पिछडी जाती के कारण, हमारी गरीबी के कारण नही।
आज भी हमे मंदीरो मे जाने की अनूमति नही..
हम गांव में शादीओ में बैन्ड बाजा, बारात नही निकाल पाते,
आज भी शादीओ में हमारे लडको को घोडी पर नही चडने दीया जाता..
ईन सबका कारण क्या हमारी गरीबी है..??? नही.. कभी नही। ईसका कारण हमारी गरीबी नही परंतु समाज में सदीयो से फैला जातीवाद है।
हमारा मिशन हमारा अपना है। जो हमे हमारे ही बहूजन महा नायको ने दिया है। तथागत बुध्ध, ज्योतिबा फूले, शाहूजी महाराज, बाबा साहब आंबेडकर, रामास्वामी पेरियार.. यह हमारे नायक हो सकते है। काल माक्सँ या कोमरैड लाल सलाम बोलनेवाले लोग नही।
हमको आज 70 साल लग गये कान्ग्रेस को समझने में।
हमे और 70 साल लाल सलाम कम्युनिस्ट को समझने में खराब नही करने है।
हमे जय भीम, जय भारत, या जय भीम, नमो बुध्धाय पर ही डंटे रहना है। यह लाल सलाम हमारे मिशन को ईतना बिगाड देगा कि हम सोचते ही रह जायेगें।
अब वक्त हमारे हाथो में है। हमे यह तय करना है कि हमे किसको चूनना है। यदी हमने गलत लोगो का साथ दे दिया तो फिर आनेवाले 70 साल के बाद हम फिर वही राग अलापेंगे की ब्राह्मण बहुत चालाक है , फिर दगा कर गया !!!!
आनेवाले भविष्य में हमारी हालत पर ब्राह्मण को दोष देने से अच्छा यह है कि हम बाबा साहब को पढे और समझदार बने।
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