May 14, 2017

भारत से लेने लायक एक ही चीज है और वह है डॉ अम्बेडकर द्वारा लिखित संविधान - नेल्सन मंडेला

नेल्सन मंडेला हमेशा यही कहते रहे कि दक्षिण अफ्रीका में मेरी लड़ाई अपने ही देश वासियों से हैं और मुझे इसी देश में समाधान चाहिए। लेकिन भारत के लोगों ने उनको अफ्रीका के गांधी की संज्ञा दी, भारत रत्न तो दिया उसमे भी लोगों को हमेशा भटकाने का काम भी किया। नेल्सन मंडेला से जब लोगों ने पूछा कि भारत ने आपको भारत रत्न से नवाजा है क्या कहेंगे? तो उन्होंने कहा कि भारत से लेने लायक एक ही चीज है और वह है डॉ अम्बेडकर द्वारा लिखित संविधान। जिसमे  भेदभाव और असमानता के खिलाफ बने कानून देखने योग्य है।

लोग तर्क देते हैं कि उनको अफ्रीका गांधी लड़ाई की वजह से नही कहा जाता है बल्कि अहिंसा की वजह से यह उपाधि दी गई है लेकिन हम अच्छी तरह से वाकिफ है कि आजादी की लड़ाई में कितने शहीदों और वीरों ने अपनी जान गँवाई है। खुद डॉ अम्बेडकर ने गांधी जी को दोहरे चरित्र का माना था उन्होंने कहा बात बात पर उपवास की धमकी देने भी किसी हिंसा से कम नही है। डॉ अम्बेडकर ने जो भी अधिकार दलितों, पिछड़ों और महिलाओं के लिए दिलाये उसमे एक बूंद रक्त की नही बही जबकी आजकल के जाट, पटेल या महिला आरक्षण के पटरी उखाड़ना, जाने जाना हो या देश की राष्ट्रीय सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाना हो सब हिंसा व् देशद्रोह की श्रेणी में ही आता है।

कहने मतलब केवल यह है नेल्सन मंडेला में गांधी शब्द थोपा गया है जबकि मंडेला की लड़ाई डॉ अम्बेडकर से मिलती जुलती रही है। जिसमे केवल देशवासियों से रंगभेद और नस्लभेद की लड़ाई थी और वे जीते भी और दक्षिण अफ्रीका पहले अश्वेत राष्ट्रपति भी बने।

  - आर पी विशाल


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