May 14, 2017

हिन्दू राष्ट्र की अवधारणा क्या है? : आर पी विशाल

हिन्दू राष्ट्र की अवधारणा क्या है?

भगवा रंग!! पौराणिक संस्कृति व् सभ्यता!! सनातनी व् पुरातनी व्यव्यस्था!!


दरअसल हिन्दू राष्ट्र वास्तव में एक खोखला आदर्श है। एक भृमित मीमांसा है।

भारत के धार्मिक इतिहास का पहले अवलोकन करना होगा जो यहाँ सम्भव नही है। लेकिन निष्कर्ष यही कहता है कि हिन्दू राष्ट्र में व् रामराज्य में वह सब चीज की कल्पना है जो हमे मनुस्मृति में और आज के समाज के जेहन में बसी हुई जातिगत, धार्मिक भावनाएं है। सिमित बातों में समझने के लिए हम एक नवीनतम उदाहरण को देखकर ही सबकुछ समझ सकते हैं। भारत में गुजरात दंगे को कई मायनों से देखा जाता है।

मोदीजी को प्रधानमंत्री की कुर्सी इसी दंगे से होकर प्रशस्त हुई, कईयो को सत्ता मिली तो कइयो की गई। हिंदुओं में कई लोगों ने माना कि यह हिन्दू खोई अस्मिता को वापस पाने का सबसे सफल कदम था तो कइयों ने माना कि यह दंगा भारत के माथे पर कलंक था। हालाँकि जो भी था वह इतिहास हो चूका है अब। लेकिन मुख्य सवाल है गुजरात दंगे के दौरान मुख्य रूप से पोस्टर बॉय के नाम से प्रसिद्ध एक लड़का, जिसके माथे में केसरिया पट्टी और हाथ तलवार नुमा हथियार, साथ में भगवा झंडा और हिन्दू राष्ट्र के नाम का बोर्ड और जय श्री राम के उद्घोष के साथ उसकी यह तस्वीर।


 आप सोच रहे होंगे इसे कहते हैं असली हिन्दू? वाकई में इस युवक के जोश, खरोश में हिंदुत्व है का उभार है। खून में उबाल और जेहन में राम राज्य की भ्रमित कल्पना, साथ में शायद मुसलमानों व् गैर हिंदुओ के प्रति नफरत भी। गुजरात दंगों के दौरान हर अखबार में यह तस्वीर रही। गूगल और सोशल मीडिया में आज भी यह तस्वीर हिन्दू शेर के रूप में देखी जाती है। लेकिन असल में इस युवक का नाम है अशोक मोची। आज गुजरात के एक शहर में फुटपाथ पर जूत्ते बनाता है। असल में यही है हिन्दू राष्ट्र। ब्राह्मण पढ़ायेगा और कर्म कांड करेंगे, क्षत्रिय देश की सुरक्षा करेंगे, बनिये कारोबार और बाकि लौट चलो अपने पुश्तैनी काम पर।

आप सोच रहे हैं ऐसे कैसे सम्भव है? आज समय बदल चुका है और लोग बहुत आगे निकल चुके हैं, तो आप सही सोच रहे क्योंकि आप अपनी सोच को आगे बढ़ा चुके हैं मगर कुछ लोग पीछे जाने को बोल रहे हैं उनकी सुनो, उनकी संख्या ज्यादा है और वह उसी वर्णव्यवस्था के निचले पायदान से होकर आते हैं जिसे राम राज्य में शुद्र कहते हैं। गाय, गोबर की बाते हो या हिंदुत्व की बाते हो ये शुद्र ही सबसे आगे रहते हैं अन्यथा किसी मंदिर के बाहर लगी किलोमीटर की लाइन हो या जागरण, धामो की यात्रा हो, हर जगह यही वर्ग विधमान मिलता है। कोई कुलीन, शिक्षित और सक्षम लोगों को किसी लाइन में या किसी ऐसी व्यवस्था में मैंने कभी नही पाया।


बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर ने ठीक ही कहा था कि हिन्दू धर्म ब्राह्मणों के ज्ञान पर नही शूद्रों के अज्ञान पर टिका हुआ क्योंकि शूद्रों का जो तिरस्कृत इतिहास हो या सामाजिक वास्तविकता हो, आज की स्थिति हो या फिर भविष्य की कल्पना कही भी आदर्श और समान विचारों को तरजीह नही दिखती। ऐसा नही कि मैं इसका विरोध इसलिए कर रहा हूँ कि ये होना ही नही चाहिए बल्कि विरोध की वजह है दोहरे मापदंड और अवैज्ञानिक तथा अतार्किक सोच। हम इस सोच के साथ आगे नही बढ़ सकते। बदलाव चाहते है तो पहले खुद से, खुद के समाज से और खुद के धर्म व व्यव्यस्था से करना पड़ेगा अन्यथा सब भ्रम और मिथ्या है।

- आर पी विशाल..



















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