स्वपन कुमार बिस्वास साल 2002 में मिले थे तथा हिंदी में छपी अपनी पहली पुस्तक '' भारत के मूल निवासी और आर्य आक्रमण '' मुझे दिए थे । कोई 14 साल बाद उनकी दूसरी पुस्तक '' बौद्ध धर्म : मोहनजोदड़ो हड़प्पा नगरों का धर्म " मिली है ।
कोई 400 पन्नों की यह पुस्तक कई साहित्यिक और पुरातात्विक सबूतों के साथ इस बात के पक्ष में लिखी गई है कि सिंधु घाटी की सभ्यता वास्तव में बौद्ध सभ्यता थी ।
पुस्तक में विस्तार से बताया गया है कि मोहनजोदड़ो और हड़प्पा के नगरों में बौद्ध स्तूप मिले हैं । ये बौद्ध स्तूप हड़प्पाकालीन हैं ।
हड़प्पा - मोहनजोदड़ो के स्तूपों में लगी हुई ईंटें , निर्माण की शैली, स्तूप में मिले बर्तन और बर्तन पर की गई चित्रकारी तक सभी कुछ हड़प्पायुगीन हैं ।
हड़प्पायुगीन इसलिए भी कि बौद्ध स्तूपों के नीचे कोई अन्य आधारभूत संरचना भी नहीं मिली है कि यह कहा जाए कि इनका निर्माण बाद में हुआ है ।
( संदर्भ - बौद्ध धर्म : मोहनजोदड़ो हड़प्पा नगरों का धर्म : स्वपन कुमार बिस्वास ; गौतम बुक सेंटर , दिल्ली )
- Dr Rajendra Prasad Singh
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कोई 400 पन्नों की यह पुस्तक कई साहित्यिक और पुरातात्विक सबूतों के साथ इस बात के पक्ष में लिखी गई है कि सिंधु घाटी की सभ्यता वास्तव में बौद्ध सभ्यता थी ।
पुस्तक में विस्तार से बताया गया है कि मोहनजोदड़ो और हड़प्पा के नगरों में बौद्ध स्तूप मिले हैं । ये बौद्ध स्तूप हड़प्पाकालीन हैं ।
हड़प्पा - मोहनजोदड़ो के स्तूपों में लगी हुई ईंटें , निर्माण की शैली, स्तूप में मिले बर्तन और बर्तन पर की गई चित्रकारी तक सभी कुछ हड़प्पायुगीन हैं ।
हड़प्पायुगीन इसलिए भी कि बौद्ध स्तूपों के नीचे कोई अन्य आधारभूत संरचना भी नहीं मिली है कि यह कहा जाए कि इनका निर्माण बाद में हुआ है ।
( संदर्भ - बौद्ध धर्म : मोहनजोदड़ो हड़प्पा नगरों का धर्म : स्वपन कुमार बिस्वास ; गौतम बुक सेंटर , दिल्ली )
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