May 22, 2017

कच्छेधारी मनुवादियों की हलक सूख जाये इतनी मात्रा मे जंतर मंतर पर जातीवाद के खीलाफ आंदोलन 21/05/2017

 जब जब जुल्मी जुल्म करेगा सत्ता के गलियारों से 
चप्पा चप्पा गूंज उठेगा जय भीम के नारों से

सहारनपुर कांड के विरोध में दिल्ली के जंतर-मंतर में हजारो की संख्या में जनसैलाब !
फ्रांस 24 news समेत दूसरे कइ विदेशी मीडिया का कवरेज, भारत की मीडिया को अगर दलाली से फुर्सत मिल जाये तो अपने ही देश के लोगों के साथ हो रहे अत्याचार दिखा सके । 
फ्रांस वाले चैनल आए। अमेरिका वाले तो सुबह ही आ गए थे। जर्मनी वाले भी थे। लाइव करने के उपकरण लेकर आए।
लेकिन भारतीय चैनल नहीं आए। लाइव दिखाना तो दूर की बात है। शाम में कुछ ने "एजेंसी फ़ुटेज" से लाज मिटाई। बेशर्म कहीं के....
ये मेईन स्ट्रीम मीडिया नहीं है, सोशल नेटवर्किंग साइट्स ट्विटर, यू-ट्यूब, ब्लोग और फेसबुक को ही मीडिया बना लीजिए...





भीम आर्मी पर उंगली उठाने वालों ईसे भी देख लो पहले...
पुलिस के सामने तलवारें लहराने वाले देशभक्त?
इनका विरोध करने वाले नक्सली?



आप कोई भी न्यूज चैनल चालू कर के देखिये किसी में मोटा भाई बैठा है, किसी मे कपिल मिश्रा और किसी चैनल में तीन तलाक पर फैसला सुनाई दे रहा है,
यह पुख्ता सबूत है मीडिया संघ और मनु का सहयोगी है.
क्योंकि भीम आर्मी द्वारा आयोजित सहारनपुर में हुए जातिवादी आतंकी हिंसा के खिलाफ लाखो नीली टोपी लगाए युवा युवतियां, बुजुर्ग पहुंचे है.
यह सब भारतीय मीडिया को नजर नही आ रहा है, जबकि फ़्रांस के अतिरिक्त विदेशी मीडिया जंतर मंतर पहुँच गया है.

"यदि दलित समाज की शर्त को नहीं माना गया तो देशव्यापी स्तर पर दलित हिंदू धर्म को त्यागकर बौद्ध धर्म अपना लेंगे और यह संख्या इतनी बड़ी होगी कि कच्छेधारी मनुवादियों की हलक सूख जाएगी।" 
- चंद्रशेखर आज़ाद, भीम आर्मी





 टीवी के शीशे में जिनका मुँह, जिनकी संस्कृति, जिनका समाज दिखाई पड़ रहा है,वे शीशा देख रहे हैं, मगर हम उस शीशे में क्या देख रहे हैं जिस शीशे में न तो हमारा मुँह, न तो हमारी संस्कृति, न तो हमारा समाज दिखाई पड़ रहा है।
आईना बदलिए।
- Dr Rajendra Prasad Singh





 बाबासाहेब के अनुयायी है और संविधान मे विश्वास रखते है 
ईसे हमारी कमजोरी ना समजी जाए

मनुवादी षडयंत्र के खीलाफ गुस्साये लोगो ने अपने हाथो पर पहने दोरे घागो को तोड कर फेंफ दीया.


अब बहुजन होश मे आओ...
मंदिर छोडो कलम उठाओ...































जंतर मंतर पर आज दलितों का मध्यवर्ग और इलीट भी था। हर हाथ में स्मार्ट फ़ोन। अच्छे कपड़े। पाँव में बूट। आँखों में सनग्लास।
सैकड़ों लोग अपनी कारों से आए। इंजीनियर, प्रोफ़ेसर, डॉक्टर, रिसर्च स्कॉलर्स, दुकानदार, नौकरीपेशा लोग, प्रोफ़ेशनल।
यह तबक़ा इतनी बड़ी संख्या में जब सड़क पर आ जाए, तो समझ लेना चाहिए कि सतह के नीचे कहीं कुछ बहुत गंभीर हो रहा है।
यह तबक़ा पहली बार इतना नाराज़ है।
अब सब कुछ पहले की तरह नहीं रह जाएगा।
मीडिया बिकाऊ नहीं है।
आप कितने भी लाख रुपए ख़र्च करके किसी राष्ट्रीय कहे जाने वाले चैनल पर आज की जंतर मंतर रैली का LIVE प्रसारण नहीं करवा पाते।
मीडिया को बिकाऊ कहना बंद कीजिए।
यह ब्राह्मण मीडिया है।
- दिलीप मंडल



ये वाली न्यूज दिखाई नहीं पड़ी । सोशल मीडिया पर आते ही भारत की ये न्यूज दिखाई पड़ी।  मैईन स्ट्रीम मीडीया को अलवीदा कह दो अपना मीडीया खडा करना है......


भीम आर्मी के प्रदर्शन पर जनता की रिपोर्टिंग- देखिए क्या हुआ था/HUGE CROWD AT JANTAR–MANTAR

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