June 02, 2017

देश मे फैली अंधाधुंद धर्मांधता देश को ले डूबेगी।

एक गांव का संचालन सरपंच (प्रधान) करता है, ऐसे ही अलग अलग स्तर पर MP, MLA, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री संचालन करते है इन सबको चुनने के लिए पुख्त वय यानी कि 18 साल की उम्र आवश्यक है !

शादी भी जीवन के संचालन की मुख्य भूमिका रही है उसे भी पुख्त वय (लड़कों के लिए 21 और लड़कियों के लिए 18 साल) के बाद में ही कर शकते है !

ऐसे ही जीवन की कई सारी महत्वपूर्ण बातें जैसे कि ड्राइविंग लाइसेंस, पान कार्ड, नॉकरी को भी 18 साल की आयु के बाद ही आप चुन शकते है !

तो फिर जीवन की सबसे महत्वपूर्ण बात... धर्म को जन्म के साथ ही क्यों थोपा जाता है ?

गांव का संचालन कर रहे सरपंच को चुनने के लिए अगर नाबालिग फैंसला नहीं कर सकता तो उसके पूरे जीवन का संचालन कौन सा धर्म करेगा वो जन्म के साथ ही क्यों ठप्पा लगाया जाता है ?

जब तक बच्चा 18 साल का न हो जाए तब तक उसे किसी भी धर्म के साथ जोड़ना नही चाहिए या उसके कोई भी दस्तावेज पे धर्म का कोई कॉलम नही होना चाहिए।

हर इंसान को यह अधिकार होना चाहिए कि वह 18 साल की उम्र के बाद अपनी मर्जी से उसे जो अच्छा लगे वह धर्म को चुन सके।

धर्म का भी चुनाव अपनी मर्जी से 18 साल की आयु के बाद होना चाहिए !

इंसान और इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नही है यह आज के धर्मान्धों को याद कर लेना चाहिए।
- संजय पटेल





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