May 24, 2017

हैवानियत भरी वारदातों को अंजाम देने वाले चाहे सवर्ण हो या अवर्ण, पर वो मनुष्य तो कदापी नहीं कहलाने चाहिए : निलेश तुलसीभाई

अज्ञानता, आज कल शिक्षित लोको में पाया जाने वाला सामान्य लक्षण और उसका उदाहरण है ऐसे मैसेज, 

"रोहित वेमुला क्या मरा, सभी सुवर नेता नंगे होकर नाच रहे थे और खबरंडियां घाघरा उठाये घूम रही थीं।
लेकिन सहारनपुर में एक सवर्ण युवा की हत्या की जाती है और सब चुप रहते हैं। अंतर स्पष्ट है।"
 

भाई ऐसे मैसेज बनानेवाले को बोलो, पहले खुद दोनों हत्याओं के बीच का अंतर समझे और ये भी समझे की ऐसे मैसेज फैलाने से कुछ हांसिल होगा तो सिर्फ होगा बदले की भावना, जातिवाद, हिंसा और तनाव। क्योंकि ऐसे Messages समाज को बाटते है, समाज मे उन्माद फैलाते है। रोहित वेमुला मरा नहीं था, उसकी भी हत्या हुई थी, Institutional Murder...
जब की सहारनपुर में मरनेवाला युवक अपने ही लोगो द्वारा पिछडो पर शब्बीरपुर में कीये गये हमले का खुद शिकार हो गया था।
आप खुद भी इस घटनाक्रम को अपने आप समझने की कोशिश करोंगे तो समझ पाओंगे।
ये अफसोसजनक घटनाक्रम आंबेडकर जयंती से शुरू हुवा था और महाराणा प्रताप जयंती को निकली रैली को लेकर हुई वारदात पर समाप्त हुवा। वो युवक अपने ही कुछ तथाकथित उच्चवर्णीय लोगो के साथ पिछडो के घर जलाने गया था और अपनों की ही लगाईं गई उसी आग में खुद झुलस गया। और इसी घटनाक्रम के चलते काफी सारे पिछडो के अब तक घर जलाये गये है, औरतो के साथ भी हिंसा हुई है, उनके हाथ पैर काट दीये गए है और इस तरह के जातावादी दंगों से जातिवाद की खाई और भी गहरी होती जा रही है। ऐसी हैवानियत भरी वारदातों को अंजाम देने वाले चाहे सवर्ण हो या अवर्ण, पर वो मनुष्य तो कदापी नहीं कहलाने चाहिए।
शिक्षित नागरिक होने की वजह से हमारी जिम्मेदारि रहती है कि किसी घटनाक्रम को अपनी विवेक बुद्धि से समझे, और ऐसी वारदातों को और जातिवादी सोच को आगे बढ़ने से रोके, ना की अफवाएं फैलाकर इस तरह की आग को चिंगारी दे। शिक्षा का वरदान मिला है तो उससे हांसिल हुई समझ का इस्तेमाल Constructive परिणाम पाने के लिए करे, ना की Destructive...!!!

- निलेश तुलसीभाई


No comments:

Post a Comment