अगर भगवान का बसेरा मंदिर मे या पथ्थरो की मूर्तिओ मे ही होता तो महादेव का मंदिर 17 बार नही टुटता ... ईतिहाश गवाह है अरब यात्री अल-बरूनी ने अपने यात्रा वृतान्त में सोमनाथ का विवरण लिखा था जिससे प्रभावित हो कर महमूद ग़ज़नवी ने सन 1024 में कुल 5000 साथियों के साथ सोमनाथ मंदिर पर हमला किया, उसकी सम्पत्ति लूटी और उसे नष्ट कर दिया और ईतनाही नही उस समय मंदिर के अंदर 50000 भक्त पूजा-अर्चना कर रहे थे, प्रायः उन सभी का भी कत्ल कर दिया. वो सभी भक्त ऐसी मान्यता मे जी रहे थे की सोमनाथ महादेव की लींग की मुर्ती है वह उन्हे बचाने आयेगी और महमूद ग़ज़नवी और उसकी सेना को खत्म कर देगी. सारे पंडीत महादेव को अरजी करने मे ही रहे की आप आओ और सारे आक्रमणकारीओ को खत्म कर दो पर कोइ नही आया. और इतीहास आप के सामने है।
इसके बाद 1069 गुजरात के राजा भीम और मालवा के राजा भोज ने इसका पुनर्निर्माण कराया। सन 1297 में जब दिल्ली सल्तनत ने गुजरात पर कब्ज़ा किया तो इसे पांचवीं बार गिराया गया। ईतना ही नही मुगल बादशाह औरंगजेब ने इसे पुनः सन् 1706 में गिरा दिया मंदिर का बार-बार खंडन और जीर्णोद्धार होता रहा और सन 1026 में महमूद ग़ज़नवी ने बारा ज्योति लिंगो मे प्रथम ज्योतिलिंग को ही खंडित कर दीया, वह यही आदि शिवलिंग था इसके बाद प्रतिष्ठित किए गए शिवलिंग को ई.स.1300 में अलाउद्दीन की सेना ने खंडित किया था, महमूद ग़ज़नवी ने भी कुछ बाकी नही रखा जीतना सोना और जो कुछ था मंदीर मे सब को लुंट कर ले गया। इसके बाद भी कई बार मंदिर और शिवलिंग खंडित किया गया। बताया जाता है आग्रा के किले में रखे देवद्वार सोमनाथ मंदिर के है। महमूद ग़ज़नवी सन 1026 में लूटपाट के दौरान इन द्वारों को अपने साथ ले गया था...
महमूद के हमले के समय अगर देखा जाये तो, प्रभास खंड में विवरण है कि सोमनाथ मंदिर मे उस समयकाल में अन्य देव मंदिर भी बिराजमान थे। इनमें शिवजी के 135, विष्णु भगवान के 5, देवी के 25, सूर्यदेव के 16, गणेशजी के 5, नाग मंदिर 1, क्षेत्रपाल मंदिर 1, कुंड 19 और नदियां 9 बताई जाती हैं। और ईतने सारे भगवानो का बसेरा होते हुये भी किसी भगवान ने आवाज तक नही उठाई और ईसका एक ही तर्क निकलता है की भगवान का बसेरा मंदिर और पथ्थरो मे तो है ही नहीं...(Created :- ब्लु डायरी ब्युरो )
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