February 28, 2018

सर्वहारा क्रान्ति का लोलीपोप

By Jigar Shyamlan ||  24 February 2018 at  10:04am




महर्षि कार्ल मार्क्स ने भी 'साम्यवाद' को देश - काल - परिस्थितियों के अनुसार लागू करने की बात कही है।

लेकिन भारत के वामपंथी / साम्यवादी न मार्क्स की बात मानते हैं न ही लेनिन व स्टालिन की।

जिन देशों मे भी साम्यवाद आया वहा पर मार्क्सवाद का देशी संस्करण तैयार किया गया रूस मे लेनिन और चीन मे माओ, आदि नेताओ ने अपने विशिष्ट सिद्धान्त सामने रखे जो उस क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत के अनुकूल थे लेकिन भारत में क्या हुआ..??

मार्कसवाद को हाईजेक करके पुरा ब्राह्मणीकरण हो गया।

मार्क्सवाद का एक भारतीय संस्करण न खड़ा कर पाना वाम पंथियो की सबसे बड़ी नाकामी है।

अब दलितो, आदिवासीयो और पीछडो को सर्वहारा और सर्वहारा क्रान्ति का लोलीपोप बताकर गुमराह किया जा रहा है।

No comments:

Post a Comment