August 04, 2017

कथा पढे..बार बार पढे..समझने का प्रयास करे

By Vijay Makwana  || 1 August 2017 at 23:25


प्राचिनपुराण की यह कथा मुझे बेहद पसंद है. मैथिलनगर में सुकेतु नामक लडका रहता था. संस्कारी और सर्वगुण संपन्न था.राजकुमार सा युवक! वयस्क होते ही उसकी शादी केतकी नामक सुंदर युवती से हो गयी. शादी के कुछ दिनो बाद सुकेतु को पता चला उसकी जिवनसंगीनी को शराब की लत है. और दिनभर जुआ खेलती है. पत्नी के इस दुर्गुणो से सुकेतु बहुत दुखी रहता था.पर विवश था अपनी पत्नी को समजाए तो कैसे समजाए? केतकी दिन ब दिन बिगडती जा रही थी. रात रात भर पुरुषो के कोठो पर नृत्य और मदिरा की महेफिलमें पडी रहती थी. घरमें सुकेतु आंसु बहाता रहता था. सुकेतु को माता पार्वती पर अखुट श्रद्धा थी. उसने २७ रवीवार का व्रत शुरू किया. अपनी पत्नी के दुर्गणो को स्वीकार कर लिया. सुकेतुने मन लगाकर अपनी पत्नी की सेवा करना शुरू कर दिया. पत्नी रात को देर से आये तो..उसे कंधा देकर पलंग पर लिटा देता था. हाथोमें लिपटे फुलो के गजरे निकाल फेंफ देता था. फिर हल्के हाथो से केतकी का सर दबाकर सुला देता था. सुबह केतकी के लिए नास्ता तैयार करना..दिनभर पत्नीपरायणा रहने लगा. माता पार्वती की भक्ति करनेमें समय व्यतित होने लगा. एक दिन केतकी जंगल से मदिरा का पात्र लिए गुजर रही थी. तभी उसने देखा एक युवान साधु बरगद के पेड के निचे अपने शिष्य-शिष्याओं को समजा रहा था 'नरा: नरकष्य कूपम्' अर्थात नर नरक का घडा है!! केतकी साधु को देखकर मुग्ध हो गयी.उसने साधु के सामने अभद्र हरकतें शूरू कर दी. जिससे क्रोधित होकर साधुने केतकी को श्राप दिया. 'हे कुलटा! कल के सूर्योदय से पहले तेरी मृत्यु होगी' केतकी का सारा नशा उतर गया. उसने घर आ कर सुकेतु को यह बात बतायी. पत्नीव्रता सुकेतु ने कहा..'प्रिया..सूर्योदय होगा तो तुम्हें कुछ होगा न? आप चिंता न करे देवी' सुकेतु ने सूर्यदेव को ध्यान लगाया.सूर्यदेव से काकलूदी की और कहा.."अगर मैं संपूर्णतया अपनी पत्नी को वफादार रहा होउं सच्चे मन अपनी पत्नी की सेवा की हो तो आप अपनी गति को रोक दिजीए" सूर्यदेव दुसरे दिन निकले नहीं..सर्वत्र अंधकार छा गया.तिनो लोक त्राहिमाम त्राहिमाम हो गए! फिर सभी देव-दानव-यक्ष माता पार्वती के पास गए.उनकी विनंति से माता पार्वती सुकेतु के पास आए.माताने सुकेतु और पत्नी केतकी को हजार वर्ष का आयुष्य प्रदान किया.कई वरदान दिए.सूर्योदय होता है..देव,गंधर्व,यक्ष,दानव,गण माता पार्वती का स्तुतिगान करते है..आकाश से पुष्पवृष्टि होती है! यहां केतकी निंद से उठती है.सब बातों का पता चलता है.वह सुधर जाती है..दोनों मिलकर लंबे दांम्पत्यजीवन का आनंद लेते है. मृत्यु बाद स्वर्गारोहण करते है. सार:पति अगर भक्तिवान पत्नीपरायण हो तो पत्नी को आधा पूण्य प्राप्त होता है.
#फुले_शाहू_आंबेडकर_वर्ल्ड
#विजयमकवाणा

Note : - ऐसी कोई कथा पुराणोमें नही मिलती..सारे आदर्श..सारे संस्कार..सिर्फ स्त्रीयों की जिम्मेदारी है..पुरुष तो उसकी पुण्य कमाई का आधा हिस्सा मुफ्तमें बटोरता है!

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