By Sanjay Patel Bauddha 23 July 2017 at 22:39
RSS की एक किताब "हिंदुत्व" के पेज 54 में खुद मोहन भागवत जवाब दे रहे है कि मूर्ति पूजा और मंदिर यह सब वैदिक परंपरा में नहीं था यह सब बुद्ध के बाद प्रचलित हुआ तो फिर हिन्दू धर्म के प्राचीन मंदिर कैसे हो सकते है ?
उस में मोहन जी एक और बात कहते है कि पहले शिवलिंग की पूजा की जाती थी तो मोहन जी सारे शिवलिंग भी अशोक स्तंभ को तोड़कर बनाये गए है...
मैंने श्रावस्ती के पास आए हुवे पूर्वाराम महाविहार की मुलाकात ली वहा पता चला कि ब्राह्मिन लोग अशोक स्तंभ को तोड़कर शिवलिंग बनाते थे। फ़ोटो देखिये।
RSS की एक किताब "हिंदुत्व" के पेज 54 में खुद मोहन भागवत जवाब दे रहे है कि मूर्ति पूजा और मंदिर यह सब वैदिक परंपरा में नहीं था यह सब बुद्ध के बाद प्रचलित हुआ तो फिर हिन्दू धर्म के प्राचीन मंदिर कैसे हो सकते है ?
उस में मोहन जी एक और बात कहते है कि पहले शिवलिंग की पूजा की जाती थी तो मोहन जी सारे शिवलिंग भी अशोक स्तंभ को तोड़कर बनाये गए है...
मैंने श्रावस्ती के पास आए हुवे पूर्वाराम महाविहार की मुलाकात ली वहा पता चला कि ब्राह्मिन लोग अशोक स्तंभ को तोड़कर शिवलिंग बनाते थे। फ़ोटो देखिये।
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