By Sanjay Patel Bauddha 24 July 2017 at 23:10
'सेतु समुद्रम' योजना के तहत 2007 में केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा प्रस्तुत करते हुए लिखा था कि राम-रावण युद्ध हुआ ही नहीं और न ही सीता का हरण ही हुआ। राम कभी लंका भी नहीं गए। इस प्रकार रामसेतु की अवधारणा को पूरी तरह बेबुनियाद बताया है।
केन्द्र का कहना है कि इस बात का कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं है कि साढ़े छह हजार वर्ष पहले भगवान राम ने यह पुल बनवाया था। इसी प्रकार भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने भी सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर रामायण के चरित्रों के अस्तित्व से इनकार किया है। इस प्रकार इस विभाग ने राम और रामायण पर ही प्रश्नचिन्ह लगा दिया है।
अब सवाल यह है कि जब सरकार और पुरातत्व सर्वेक्षण खुद स्वीकार कर रहे है कि राम-रावण युद्ध नहीं हुआ, राम कभी लंका नहीं गए, रामायण काल्पनिक है, राम का कोई वैज्ञानिक सबूत नही है तो फिर लोग क्यों राम के नाम पे मूर्ख बन रहे है ! क्यों राम के नाम पे इंसानों के बीच लड़ाई कर रहे है ?
विज्ञान अपनाओ, देश मे एकता बढ़ाओ।
अंधश्रद्धा भगाओ, देश बचाओ ।
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