आज काफी लोग एनडीटीवी को सपोर्ट और विरोध कर रहे है विरोध करने वालो मे बिजेपी के सपोर्टर है और सपोर्ट करने वाले बाकी सारे , पर इन सब मे एक नाम जरा उभर के नजर आता है जो विरोधी खेमे मे तो है पर बिजेपी सपोर्टर नही है.
और वह है वरीष्ट पत्रकार दिलीप मंडल.
सरकार ने एनडीटीवी पर एक दीन का रोक लगाने की सजा और काफी सारे एनडीटीवी से जुडे मुद्दो पर उन्होने समयांतर मे अपने फेसबुक प्रोफाईल पर लिखा है इन मे से कुछ चुनींदा पोस्ट हम आप को दीखाने का प्रयास करते है.
ध्यान से पढीये और समजीये...
"NDTV अगर एक ओपिनियन पोल लाता है, जिसमें यूपी में BJP सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरती दिखाई जाती है और BSP तीसरे नंबर पर, तो क्या आप उस पर भरोसा करेंगे? करना ही पड़ेगा।
लिखकर रख लीजिए। NDTV का ऐसा ओपिनियन पोल आएगा।
मीडिया का अंडरवर्ल्ड! जो दिखता है, सिर्फ उतना ही नहीं होता।"
(5 November 2016)
और ऐसा हुआ भी, आप के भरोसे के काबील बना ने के लीये सरकार एनडीटीवी का इस्तेमाल कर रही है ऐसा भी हो सकता है.
"NDTV आज की तारीख़ में सिर्फ 513 करोड़ रुपए की कंपनी है। उस पर फ़ेमा यानी मनी लॉन्ड्रिंग का 2031 करोड़ रुपए का और टैक्स अदायगी से संबंधित 450 करोड़ रुपए के मामले है।
सरकार जिस पल चाहेगी, ऑक्सीजन रोक देगी। लेकिन जेटली जी के होते NDTV का ऑक्सीजन रुकना मुमकिन नहीं लगता।
मुझे नहीं लगता NDTV की सरकार से भिड़ने की हैसियत है।
NDTV के मालिक प्रणय राय एक्सप्रेस वाले रामनाथ गोयनका नहीं हैं कि घर फूँककर भिड़ जाएँ।
जो दिख रहा है, हो सकता है कि हक़ीक़त वह न हो।"
(5 November 2016)
"NDTV साढ़े चार साल जनता का भरोसा जीतने की कोशिश करता है ताकि पाँचवें साल चुनाव के समय बीजेपी के पक्ष में हवा बना सके।
उस बात के पक्ष में मेरे पास NDTV के कम से कम पाँच ओपिनियन पोल हैं जो बीजेपी के पक्ष में किए गए। सारे ग़लत साबित हुए।
NDTV ने BSP, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल को आगे दिखाने की ग़लती कभी नहीं की। जबकि इनकी अक्सर सरकार बनती है।
यूपी चुनाव में NDTV फिर से यही करने वाला है।"
(11 December 2016)
और पढीये...
"NDTV हिंदी ने साल में एक जैसा-तैसा कार्यक्रम बाबा साहेब पर कर दिया तो आप जैसे भोले लोग फ़िदा हो गए।
यह भी नहीं देखा कि उसी चैनल ने पिछले चुनाव से ठीक पहले बहनजी के खिलाफ कैसा ज़हरीला कार्यक्रम चलाया। यह चैनल अभी अभी झारखंड की बीजेपी सरकार से बड़ी रक़म ले चुका है।
यूपी में विधानसभा से पारित नियम से हर पूर्व मुख्यमंत्री को सरकारी घर मिला है। सबने अपने ढंग से सजाया है। कार्यक्रम सिर्फ बहनजी के घर पर किया गया।
NDTV ने सिर्फ बहनजी के सरकारी आवास का बेडरूम और बाथरूम नापा। जबकि हर पूर्व मुख्यमंत्री का घर एक जैसा है। यहाँ तक कि मार्बेल की क्वालिटी जाँची गई।
इस कार्यक्रम में बहनजी को माया मेमसाहेब कहा गया है। समझने वाले समझते होंगे कि यह कितना अपमानजनक है।
बहनजी के सरकारी घर पर बनाए गए कार्यक्रम का अंत गीता के श्लोक से किया गया।
मीडिया एक सिस्टम है। एक कार्यक्रम आपके पक्ष का दिखाकर, उसकी आड़ में आपकी जड़ खोद दी जाती है।
भरोसा हासिल करने के बाद गला काटना आसान होता है।
पता नहीं मैं अभी किन मीडिया-मूर्खों को यह सब बता रहा हूँ।"
(28 February 2017)
"NDTV के रवीश कुमार हर दिन आधा घंटा सेकुलरिज्म करते हैं। फिर बिहार चुनाव आता है और पूरा चैनल कम्यूनल होकर बीजेपी का प्रचार करने लगता है।
लेकिन रवीश को उसके मालिक अब भी सेकुलरिज्म करने देते हैं।
कुछ समय बाद असम चुनाव में एनडीटीवी फिर कम्यूनल हो जाता है। लेकिन रवीश इसके बाद भी सेकुलरिज्म करता रहता है।
उस बीच सरकार एनडीटीवी पर एक दिन का बैन लगाकर उसे लागू नहीं करती। चैनल लोगों की नज़र में भरोसेमंद हो जाता है।
उसके बाद यूपी चुनाव में पूरा चैनल फिर बीजेपी की हवा बनाने में जुट गया है।
RSS की सारी साइट्स लिख रही हैं - "मोदी की सबसे बड़े विरोधी NDTV बता रही है कि बीजेपी यूपी में जीत रही है।"
रवीश को उसके मालिक आगे भी सेकुलरिज्म करते रहने दे सकते हैं।
मीडिया एक सिस्टम है। भरोसेमंद दिखते रहना उसकी ज़रूरत। रवीश जैसे प्यादों की ज़रूरत होती है। रवीश का सेकुलरिज्म शक के दायरे में नहीं है। लेकिन वह एक सिस्टम को ही मज़बूत बना सकता है।
स्टूअर्ट हॉल को पढ़िए। लेख का नाम है The Whites of Their Eyes. मीडिया सिस्टम को समझने में मदद मिलेगी।"
(6 March 2017)
और ये आज की ताजा पोस्ट ...
"जिस समय यूपी के विधानसभा चुनाव में मतदान चल रहा था, ओपिनियन पोल और एक्ज़िट पोल पर रोक थी, तब एक दिन टीवी देखने वाले चौंक गए।
NDTV कंपनी के मालिक प्रणय रॉय 5 मार्च को बता रहे थे कि यूपी में बीजेपी जीत रही है। सबको लगा कि यह कौन सा ओपिनियन पोल आ गया। कार्यक्रम के अंत में धीरे से बताया गया कि यह एहसास उन्हें लोगों से बातचीत करने के बाद हुआ।
चुनाव के बीच यह कार्यक्रम सीधे तौर पर मतदान को प्रभावित करने के लिए किया गया।
बीजेपी और उसकी सैकड़ों-हज़ारों सच्ची-फ़र्ज़ी साइटें और 25-25 लाख फ़ॉलोवर वाले सैकड़ों पेज इस खबर को ले उड़े कि बीजेपी के प्रचंड विरोधी प्रणय रॉय ने भी हार मान ली है। बीजेपी ने इसे ख़ूब भुनाया।
चुनाव के दौरान NDTV जैसी हरकत घोषित तौर पर बीजेपी समर्थक ज़ी न्यूज, ABP न्यूज, आज तक, रजत शर्मा और इंडिया न्यूज ने भी नहीं की।
जबकि कुछ दिन पहले ही मोदी सरकार में NDTV पर एक दिन के बैन की घोषणा की थी।
मुझे तो नहीं समझ आ रहा है कि सरकार और NDTV के बीच क्या चल रहा है।
इस कंपनी की साइट पर आप पाएँगे कि कई वर्षों से यह कंपनी भारी क़र्ज़ और घाटे में है। टॉप लाइन और बॉटम लाइन दोनों ख़राब है।
टीआरपी के मामले में इस कंपनी के सभी चैनल सबसे नीचे हैं। पिछले हफ़्ते NDTV हिंदी की रेटिंग 2.8% रही।
माल्या के साथ मिलकर खोला गया चैनल NDTV लाइफ़स्टाइल बंद हो चुका है। इसका बिज़नेस चैनल NDTV प्रॉफिट इसी महीने बंद हो रहा है।
मुमकिन है कि यह कंपनी कुछ बड़े कॉरपोरेट जैसे अंबानी, ओसवाल और जिंदल की दया पर चलती रही।
राडिया टेप नंबर # 132 में नीरा राडिया कहती हैं कि अंबानी ग्रुप को प्रणय रॉय की मदद करनी है। आप इसे सुन सकते हैं। यह टेप अब सुप्रीम के पास भी है।
मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा कि हो क्या रहा है।
किसी भी मामले को ज़्यादा गहराई से जानने का यही नुक़सान है।
मैं विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थक हूँ।"
(06 Jun 2017)
- Created By Vishal Sonara
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