सेफगार्ड, प्रिविलेज मिला है. संविधान सभा में आदिवासियों के रिप्रजेंटशन के लिए उस समय जयपाल सिंह मुंडा भी थे. उस समय की एक माइनर भूल की तरफ ध्यान देते है की उस समय की मायनोर भुल का खामीयाजा कैसा होत है. बाबासाहब का इतना बडा योगदान है भारत के संविधान मे उसे तो कोइ नजर अंदाज़ नही कर सकता .
जैसे उस समय जयपाल सिंह आदिवासी के रिप्रजेंट थे, वैसे ही डीटी एनटी के रामजी भनावत थे पर रामजी भनावत को बाबासाहब के साथ आना गंवारा नहीं था यहां तक की बाबासाहब ने उनको ओफर की थी की आप केवल मौजूद रहे दोनो राउंड टेबल कान्फरेंस मे बाकिका मै देख लूंगा...!!! भटके-विमुक्तो की समस्याओं का हल बाबा साहब बखुबी जानते थे पर वह उनका कोइ प्रतीनीधी इस बात की फेवर करे ऐसा चाहते थे. क्योकी बाबा साहब उन तबको से नही आते थे तो वह बोल भी कैसे पाते उन तबको के लीये. हा अगर उन्होने साथे लीया होता बाबा साहब का तो आज उनके दीन कुछ और होते. पर वो नही आये...
और उसी तरह मुस्लिमों के लिए के लिए बाबासाहब ने मौलाना अब्दुल कलाम को और एक मुस्लिम रिप्रजेंटिव को कहा की आप आये राउंड टेबल कान्फरेंस मे पर वो भी नही आये गांधी जी के चक्कर मे.
1. डीटी एऩटी का हाल
2. मुस्लिमो के संविधानिक गारंटी का .
(Blue Diary Bureau)
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