By Nilesh Rathod || 5 September 2017
अन्धविश्वाश पाखंड मनुवाद ब्राह्मणवाद के विरुद्ध क्रांति करने वाले और बाबा साहब आम्बेडकर ने जिन्हें अपना वैचारिक गुरु माना था उस महान क्रांतिकारी दंपति राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले-सावित्रीबाई फुले को शिक्षक दिन पर सत् सत् नमन.
बहुजनो को ब्राह्मणवाद अन्धविश्वाश से मुक्त कराने और उनको शिक्षित करने के लिए जिन्होंने अपना घर तक छोड़ना पड़ा लोगो की आलोचना सहेनी पड़ी फिर भी अपने लक्ष्य पर अडिग रहकर उन्होंने बहुजनो को शिक्षित करने के लिए अपनी जान की बाजी भी लगादी थी.
उनके ऊपर ब्राह्मणों ने जानलेवा हमला करवाया था.
उनका मानना था कि पुरुष से ज्यादा अगर महिला शिक्षित होगी तो वह अपने परिवार को भी शिक्षित कर सकती है इसीलिए उन्होंने अपनी पत्नी सावित्रीबाई को भी शिक्षित करके उस काबिल बनाया की वे दूसरों को शिक्षा दे शके.
और इस क्रान्ति में सहभागी फातिमा शेख को भी सत् सत् नमन जिन्होंने सावित्रीबाई के साथ कंधे से कंधा मिलाकर बहुजनो को शिक्षा देने का काम किया.
आज उनकी वजह से ही बहुजन बेटिया पढ़-लिख कर उन्नति के सोपान सर कर रही है.
-:- शिक्षक दिवस -:-
- राधाकृष्णन ने 40 साल तक स्कूल कॉलेज मेँ पढाया... उन्होनेँ एक भी स्कूल नहीँ खोला,,,उन्होनेँ सिर्फ अपनी तनख्वाह के लिये ही पढाया था ज्योतिबा फूले ने 1848 मेँ भारत का प्रथम स्कूल खोला, तब तक तो बॉम्बे हाई स्कूल भी नहीँ खुला था... लड़कियोँ को पढाने के लिये कुल तीन स्कूल खोले !!
- राधाकृष्णन पर अपने ही शोध छात्र जदुब्नाथ की थीसिस को चुराने का आरोप लगा (इस पर मुकदमा भी चला) जिन्होंने उस थीसिस को किताब के रूप में छपवा कर नाम कमाया, ज्योतिबा फूले को जब लड़कियोँ को पढाने के लिये शिक्षिका नहीँ मिली, तब उन्होनेँ अपनी पत्नि सावित्री बाई को शिक्षण के लिये तैयार किया.
- राधाकृष्णन अपनी आय बढाने के लिये ट्यूशन पढाया करते थे शिक्षा के प्रचार प्रसार के लिये ज्योतिबा को अपने ही घर से निकलवा दिया गया... जाति से बहिष्कृत होना पड़ा.
- राधाकृष्णन अपने पीरियड मेँ बीस मिनट देर से कक्षा मेँ पहुंचते और दस मिनट पहले ही कक्षा से बाहर आ जाते थे 1853 में ज्योतिबा और सावित्री बाई ने अपने मकान में प्रौढ़ों के लिए रात्रि पाठशाला खोली.
- ज्योतिबा ने आज से 150 साल पहले 'कृषि विद्यालय' की बात की तब किसानोँ की दुर्दशा पर कोई समाज सुधारक बोलते नहीँ थे!!
शिक्षा के असली प्रचारक फूले दंपति को शत शत नमन !!
नीलेश राठोड
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