By Veeru Ji || 13 Aug 2017 at 15:00
कितनी मिन्नतों के बाद उसे पाया होगा।
तब जाके खुशियों का मौका आया होगा
कभी हाथों में तो कभी पलने में झुलाया होगा।
तब जाके बच्चे को चैन से सुलाया होगा।
उसकी किलकारी से पूरा घर चहकाया होगा।
उसे देख मां बाप का चैहरा मुशकुराया होगा ।
बच्चे को बुखार थोडा आया होगा
तब उसे गौरखपुर लाया होगा।
सहम कर डर चैहरे पे उतर आया होगा
जब बच्चे के मास्क में ऑक्सीजन न आया होगा।
आंखों से समंदर भी निकल आया होगा
जब जिगर के टुकडे को तडपता हुआ पाया होगा।
थम गंई होंगी सांसे जब बच्चे को खामौश पाया होगा।
जम गये होंगे होंठ जब बच्चे की लाश को उठाया होगा।
कल वो रोता था अब मां बाप को रुलाया होगा।
छोड गया लाल ये भी यंकी न आया होगा ।
कैसे अपने आप को समझाया होगा।
जब अपने कलेजे के टुकडे को दफनाया होगा।
चीख पुकार और मातम का साया होगा।
ये देख शर्म से आसमां भी शर्माया होगा
अभी तलक अन्न न खाया होगा
जब अांचल से दूध को बहाया होगा
हर बार बच्चे का चैहरा अपनी आंखों मे आया होगा।
जब अपने सामने बच्चे को खोया होगा...
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