May 01, 2017

पेप्सी विक्रेता सचिन तेंडुलकर की फिल्म आ रही है : विशाल सोनारा

पेप्सी विक्रेता सचिन तेंडुलकर पर अब फील्म भी बन रही है।
उनको कुछ छोडना नही है।
माना कि पेप्सी पीने से बच्चों में मोटापा बढ़ रहा है।
बीमार हो रहे हैं। बाक़ियों के लिए भी ठीक नहीं है।
लेकिन सचिन का क्या दोष।
उनको तो पैसा चाहिए।
सचिन से ज्यादा टैलेंट कांबली में था अगर उन पर फील्म बनाते तो ज्यादा वास्तीवीक रहती।
भारत के अब तक के महानतम क्रिकेटर और देश को पहला वर्ल्ड कप जीताने वाले कप्तान को भी सचीन से ज्यादा कांबली की टैलेंट पर भरोसा था।
शुरुआती 20/21 टेस्ट इंनिंग्स में दोनों खिलाड़ियों का परफ़ॉर्मेंस देखने के बाद आप समज सकते हो मेरी बात।
खराब खेलकर भी सचिन को मौक़े मिलते चले गए।
और कांबली को एक खराब फ़ॉर्म की वजह से टेस्ट मैच खेलने का मौक़ा नहीं मिला।
विनोद कांबली सिर्फ 17 मैच के बाद एक खराब फॉर्म आया और पर्मानेंटली आऊट. लेकिन फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उसने 129 मैच खेले। यहां भी सचिन से बेहतर 59.67 का एवरेज रहा। 35 सेंचुरी, 47 हाफ सेंचुरी। कुल 181 इनिंग्स में बैटिंग की। 45% मौके ऐसे आए, जब सेंचुरी या हाफ सेंचुरी बनाई. इस मामले में भी सचिन से बेहतर। बंदा अपना दम दिखाता रहा, सेलेक्टर्स इग्नोर करते रहे।
इससे बेहतर कोई क्या खेल दिखाता?
सचिन तेंडुलकर टेस्ट एवरेज में तो काबली से पीछे यानी 53.78 पर है ही। फर्स्ट क्लास क्रिकेट में भी कांबली के मुकाबले फिसड्डी है। सचिन ने 310 मैच खेले। कांबली से कम 57.84 का एवरेज रहा। 81 सेंचुरी, 116 हाफ सेंचुरी. कुल 490 इनिंग्स में बैटिंग की। 40% मौके ही ऐसे आए, जब सेंचुरी या हाफ सेंचुरी बनाई।
( स्रोत- espncricinfo.com )
आप कहोगे की कांबली दारू पीता था, गर्लफ़्रेंड थी, पर 54 से ज्यादा एवरेज से टेस्ट में रन बना रहा था।सचिन से बेहतर एवरेज। खेलने का इम्तिहान था कि नैतिकता जाँची जा रही थी? मतलब कि आपके हिसाब वाली नैतिकता।
पर मेरी माने तो बंदा दमदार रहा होगा। 17 मैच में कांबली 54 का एवरेज निकाल ले गया। सचिन के पहले 17 मैच का हिसाब निकालिए। 40 का एवरेज भी न निकाल पाए थे आपके भगवान जी।
सचीन कप्तानी मे भी कुछ खास आगे नही है दुसरे कप्तानो से।
सचिन का परफॉर्मेंस कपिलदेव, अजहरुद्दीन, सौरव गांगुली इन सबसे पीछे है। सचिन का कैप्टन के तौर पर सक्सेस रेट है टेस्ट मैच मे 16% (25 मैच में 4 जीत) और वन डे मे 35% (73 मैच में 23 जीत) है।
सचीन को लीडर नहीं, एक इंडिविजुअल परफॉर्मर के तौर पर देखे।
और आखीर मे एक दुखद सच यह भी याद रखे कि कांबली का अंगूठा काट लिया गया...!!!
कितने एक्लव्य ????
और जोर से बोलीये "सची......न... सचीन........"
- विशाल सोनारा



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