By Vishal Sonara
हाल हि मे खबरें आई थीं की केरल की कम्युनिस्ट सरकार अपने राज्य मे रामायण महीना मनाने जा रही है और बहोत जोरो से उसकी तैयारियां चालु है. अब छवि बदलने की कोशिश में है ये लोग, वो अब बोलने वाले है की कार्ल मार्क्स जो भी कह कर गए पर अब तो हमें भी भगवान पर विश्वास है...!!!
बहोत से लोग ये खबर सुनकर आचंबीत हो गए और अपनी प्रतिक्रिया देने लगे.
इसी कम्युनीस्टो ने पीछले दिनो अछुतो को मंदिर मे पुजारी बनाकर पेश किया था. बाद मे उन्ही अछुत पुजारीयों पर हमले भी हुए थे वो बात लोग भुल जाते है. अगर धर्म अफिम है तो फिर क्यो अफिम पीलाई जा रही है ये बात लोग पुछते तक नही है इनलोगो को...
कुछ जागरुक लोगो का कहना था की कम्युनिस्ट लोग तो धर्म मे मानते नही है फिर ये सब क्या है. पर उन्हे असली बात पता ही नही है. कम्युनिस्ट लोग अपने धर्म को कभी भी नफरत नही करते. सब दिखावे की बाते है. कम्युनिस्ट लीडर्स के लाल कपडो के नीचे की जनेउ अकसर दीख ही जाती है. वामपंथियों का कहना है की अब लोगों के बीच 'असली राम' और 'असली रामायण' को लाया जाएगा. संध ने गलत व्यख्या कि है. आज तक संघ बता रहा था अंग्रेजो और मुगलो ने गलत व्यख्या कि है अब ये लाल सलाम वाले लोग भी "राम नाम की नाव" पर सवार हो चुके है और बताएगे की पिछला वाला सब गलत था अब हम सुनाते है सही क्या है...!!!! बस लोगो को सब अपने हिसाब से कथा कहानीयां सुनाई जाएगी और देश मे बढ रही गरीबी बेरोज़गारी की बात कोई नही करेगा.
और भारत की जनता भावनाओं मे बहकर ईन सब बदमाशीयों को चुपचाप सहन करती रहेगी. क्यों की 85% भारतीय जनता का कोई प्रतिनिधित्व नही है, और जो है उस प्रतिनिधित्व को खुद उन्होने ही खत्म सा कर दिया है. लोगो को अपने अदली मुद्दो पर जागृत होना पडेगा तभी कुछ परिवर्तन आएगा.
कुछ लोगो को ये सब नया लग रहा है पर बाबा साहब और रामासामी पेरीयार ने तो बहोत पहले हि ये सब कह दिया था. आंबेडकर और पेरीयार की विचारधारा को ठीक से जानने वाले ये पूरी बदमाशी पहले से ही पहचानते है. जब तक लोग असली बहुजन नायको को पढना नही शुरु करेगे तब तक ये सब ऐसे ही भारत कि जनता को उल्लु बनाते रहेगे. एक जाएगा दुसरा उसी विचारो को लेकर नई पटकी पढाने आ जाएगा, जनता वहीं की वहीं रहेगी...
- विशाल सोनारा
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