अप्रैल 2015 को एक कार्यक्रम मे हमारे अभी के केबीनेट मीनीस्टर और उस समय के डेप्युटी स्पीकर आत्माराम परमार ने कहा थी की शिव, क्रिश्ना और राम दलीतो के भगवान नही दलीतो का भगवान अगर कोइ है तो वह है डो भीमराव आंबेडकर. और वोही आत्माराम परमार अब डाक डमरु पर माताओ के भुवाश्रीओ का सम्मान कर रहे है. दोनो विपरीत विचारधाराओ को एक साथ जोडना तो कोइ आत्माराम सर से सीखे. समाज के शीक्षीत और जाग्रुत लोगो का कर्तव्य है की समाज मे फैले अंधविश्वास को दुर कर के समाज के उत्थान के लीये आगे आये. पर यहा गंगा उलटी बह रही है, जाग्रुत इंसान ही अंधविश्वास मे डुबता जा रहा है...!!! 2015 का आत्माराम परमार का बयान सुनकर काफी लोगो को उनसे बहोत उम्मीदे थी, समाज को सहीगलत की पहचान कराना हर एक लीडर का कर्तव्य है. पर हाल ही के इस माता के भुवाओ के डाक डमरु वाले कर्यक्रम ने सब को सोचने पर मजबुर कर दीया की सही मे आत्माराम परमार दलीत समाज का हित चाहते है या केवल अपनी पार्टीका? कई दलीतो ने माता के डाक डमरु करते करते अपनी पुरी जींदगी नीकाल दी पर एक फीसदी भी हालात बदले नही पर डो आंबेडकर ने आकर पुरी जींदगी बदल दी दलीतो की. आत्माराम परमार साहब को क्या आंबेडकर ने अपने अंतीम समय मे दी हुई 22 प्रतीग्नाये पता होगी?? अगर पता है तो उन मे से वह कीतनी प्रतीग्या को मान रहे है??? ये सब सवाल क्या सवाल ही रहेगे? आत्माराम परमार इन सवालो को जवाब देगे भी कभी?? पोस्ट के अंत मे हम आंबेड्कर साहब ने दी हुई उन प्रतीग्याओ का एक पीडीएफ दे रहे है हो सके तो उन तक पहुंचाने के लीये इस लींक को ज्यादा से ज्यादा शेअर करे. जय भीम जय भारत - विशाल सोनारा
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