गाँधी एक चालाक बनिया !
अच्छा शिला दिया है ब्राह्मणों ने गाँधी के वर्ण व्यवस्था को बनाए रखने मे किए गए संघर्षों का !
गाँधी बनिया थे और वर्ण व्यवस्था के प्रबल पक्षधर उन्होने अनुसूचित जाति के अधिकारों को समाप्त करने के लिए तथा ब्राह्मणवादी व्यवस्था को स्थायित्व प्रदान करने के लिए 1932 मे पूना के यरवदा जेल मे अपने जान की बाजी लगाकर ब्राह्मणों के हितों की सुरक्षा किया !
गाँधी भारत मे प्रसिद्ध नेता हुए ! ब्राह्मणों को यह बात भी हजम नही हुई कि कोई बनिया ब्राह्मणों से ऊपर कैसे हो सकता है ! आखिरकार एक ब्राह्मण नाथूराम गोडसे ने गाँधी की हत्या कर दी !
आज एक ठाकुर अमित शाह ने गाँधी को चालाक बनिया कहकर अपनी गंदी मानसिकता का परिचय दे ही दिया ! जब एक दोयम दर्जे का ठाकुर गाँधी जैसे बनिया को सम्मान नही दे सकता तो ब्राह्मण किसी बनिया को कैसे सम्मान देगा !
क्या कभी वैश्य/बनिया समाज इस पर विचार करेगा !
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